Mahalaxmi Vrat 2024: 23 या 24 किस दिन है महालक्ष्मी व्रत, जानें पूजन विधि और भोग रेसिपी

Mahalaxmi Vrat 2024: हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का खास महत्व माना जाता है. सोलह दिनों के महालक्ष्मी व्रत का समापन अश्विन मास की अष्टमी तिथि के दिन होता है.

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Mahalaxmi Vrat 2024 Date: मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बरसती है.

Mahalaxmi Vrat 2024 Bhog:  महालक्ष्मी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो माता लक्ष्मी, धन की देवी को समर्पित है. 16 दिन तक चलने वाले महालक्ष्मी पर्व का मंगलवार को समापन हो जाएगा. हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का खास महत्व माना जाता है. वैसे तो हिंदू धर्म में हर एक व्रत और त्योहार का विशेष महत्व है. सोलह दिनों के महालक्ष्मी व्रत का समापन अश्विन मास की अष्टमी तिथि के दिन होता है. इसे गजा लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इसमें गज पर बैठी माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है.  मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बरसती है. महालक्ष्मी व्रत में विधि-विधान से पूजन करने के लिए प्रात:काल में स्नानादि कार्यों से निवृत होकर माता की पूजा करें. महालक्ष्मी व्रत में माता लक्ष्मी को तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है. तो चलिए जानते हैं माता को किस चीज का लगाएं भोग.

महालक्ष्मी व्रत स्पेशल भोग- Mahalaxmi Bhog Recipe:

इस दिन मां लक्ष्मी को मालपुए का भोग लगाना एक बहुत ही शुभ माना जाता है. मालपुए को मिठास और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. मालपुआ बनाने के लिए मैदा और खोए से दो अलग-अलग बैटर तैयार करके बनाए जाते है. बाद में दोनों बैटर बनाने के बाद घी लगाकर इसे हल्की आंच पर सेंकें. इसे चाश्नी में डिप करने बाद ऊपर से बादाम, पिस्ता और केसर डालकर सर्व करें

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महालक्ष्मी व्रत की पूजन विधिः Mahalaxmi Vrat Pujan Vidhi:

माता लक्षमी की पूजा में सबसे पहले पूजा स्थल पर हल्दी से कमल बनाएं उस पर मां लक्ष्मी की गज पर बैठी मूर्ति स्थापित करें. पूजा में याद से श्रीयंत्र जरूर रखें. ये मां लक्ष्मी का प्रिय यंत्र है. साथ ही सोने चांदी के सिक्के और फल-फूल और माता का श्रृंगार रखें. एक साफ स्वच्छ कलश में पानी भरकर पूजा स्थल पर रखें. इस कलश में पान का पत्ता भी डाल दें और फिर उस पर नारियल रखें. फल, पुष्प, अक्षत से पूजा करें. चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का उद्यापन करें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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