Mahalaxmi Vrat 2021: सोलह दिनों के महालक्ष्मी व्रत का समापन अश्विन मास की अष्टमी तिथि के दिन होता है.
खास बातें
- महालक्ष्मी को गजा लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है.
- इस दिन गज पर बैठी माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है.
- महालक्ष्मी में माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगा सकते हैं.
Mahalaxmi Vrat 2021 Bhog: 16 दिन तक चलने वाले महालक्ष्मी पर्व का कल समापन होगा. हिन्दू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का खास महत्व माना जाता है. वैसे तो हिंदू धर्म में हर एक व्रत और त्योहार का विशेष महत्व है. सोलह दिनों के महालक्ष्मी व्रत का समापन अश्विन मास की अष्टमी तिथि के दिन होता है. इसे गजा लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें गज पर बैठी माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बरसती है. महालक्ष्मी व्रत में विधि-विधान से पूजन करने के लिए प्रात:काल में स्नानादि कार्यों से निवृत होकर माता की पूजा करें. महालक्ष्मी व्रत में माता लक्ष्मी को तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है.
माता लक्ष्मी को लगाएं खीर का भोगः
महालक्ष्मी में माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगा सकते हैं. खीर एक ऐसा लाजवाब डिजर्ट है जिसको किसी भी शुभ अवसर और त्यौहारों पर बनाया जाता है. व्रत वाली खीर को आप व्रत में भी बना के खा सकते हैं. इस खीर को बनाने के लिए दूध, व्रत वाले चावल, और चीनी से तैयार किया जाता है. खीर बनाने के लिए सामग्री में आपको दूध, व्रत के चावल, चीनी, किशमिश, छोटी इलायची पाउडर, बादाम आदि की आवश्यकता पड़ती है. सबसे पहले खीर बनाने के लिए एक कड़ाही में दूध और चावल को धोकर गैस पर उबाले, जब चावल पक जाएं तो उसमें चीनी डालकर कुछ देर पकाएं, चीनी घुलने के बाद किशमिश और इलायची पाउडर डालकर अच्छे से मिलाएं फिर आंच बंद कर इसमें बादाम डालकर गार्निश कर सर्व करें.
महालक्ष्मी व्रत में माता लक्ष्मी को तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है.
महालक्ष्मी व्रत की पूजन विधिः
माता लक्षमी की पूजा में सबसे पहले पूजा स्थल पर हल्दी से कमल बनाएं उस पर मां लक्ष्मी की गज पर बैठी मूर्ति स्थापित करें. पूजा में याद से श्रीयंत्र जरूर रखें. ये मां लक्ष्मी का प्रिय यंत्र है. साथ ही सोने चांदी के सिक्के और फल-फूल और माता का श्रृंगार रखें. एक साफ स्वच्छ कलश में पानी भरकर पूजा स्थल पर रखें. इस कलश में पान का पत्ता भी डाल दें और फिर उस पर नारियल रखें. फल, पुष्प, अक्षत से पूजा करें. चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का उद्यापन करें.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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