भगवान के भोग में क्यों नहीं होता लहसुन-प्याज का इस्तेमाल, वजह जान हो जाएंगे हैरान

Lahsun Pyaaz: लहसुन प्याज को आमतौर पर सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आखिर भगवान के भोग में क्यों नहीं इस्तेमाल करते हैं लहसुन और प्याज. अगर नहीं तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें.

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Lahsun Pyaaz: भगवान के भोग में क्यों नहीं होता लहसुन-प्याज का इस्तेमाल.

भगवान का भोग बनाते वक्त हम कभी भी लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं करते. वहीं व्रत के आहार में भी इसका इस्तेमाल नहीं होता. न ही किसी शुभ काम में बने खाने में इसे डालते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है. दरअसल, इसके पीछे कुछ साइंटिफिक रीजन भी है और कुछ मान्यताएं भी इससे जुड़ी हैं. आइए आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं. माना जाता है कि लहसुन और प्याज़ बुरी इच्छाओं को जगाते हैं और सेंसरी कंट्रोल बनाए रखना मुश्किल बनाते हैं. प्याज, लहसुन और इसी तरह की दूसरी खाने की चीज़ों को उनके गुणों की वजह से खाने से बचने की सलाह दी जाती है. मीट प्रोडक्ट न होने के बावजूद, इनका हमारे गुणों (मोड) पर वैसा ही असर होता है जैसा मीट प्रोडक्ट्स का होता है.

प्याज और लहसुन होते है राजसिक और तामसिक-

लहसुन और प्याज को तामसिक खाना माना जाता है और इन्हें शरीर की कामुक एनर्जी को जगाने से जोड़ा गया है. यह भी कहा जाता है कि प्याज़ और लहसुन खाने से शरीर में गर्मी पैदा होती है. इसके अलावा, लहसुन और प्याज को मिलाकर "रजोगुणी" कहा जाता है, जिसका मतलब है कि ये खाने की चीज़ें किसी व्यक्ति को अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल खोने पर मजबूर कर सकती हैं और उसे अपनी प्राथमिकताओं और चाहतों के बीच फर्क करने में मुश्किल हो सकती है.

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साधु क्यों नहीं खाते लहसुन-प्याज-

साधक या साधु,प्याज और लहसुन नहीं खाते क्योंकि इससे वे अपने भक्ति मार्ग से भटक सकते हैं. इसी तरह, वैष्णव और ब्राह्मण जो दीक्षित हैं और विग्रह सेवा (देवी-देवताओं की सेवा) करते हैं, वे इसे नहीं खाते क्योंकि उनका मुख्य लक्ष्य भगवान की सेवा करना होता है, न कि अपनी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करना. इसके अलावा, प्याज और लहसुन से बना खाना देवताओं को चढ़ाने के लिए सही नहीं है.

क्या है इससे जुड़ी कहानी-

वेदों में कहा गया है कि जो कोई भी प्याज और लहसुन खाता है, उसका शरीर सख्त और मजबूत होता है, लेकिन उसकी बुद्धि राक्षसों जैसी सांसारिक और खराब होती है. एक कहानी के अनुसार, जब राहु केतु ने छल से अमृत निगल लिया था तो भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका गर्दन काट दिया था. तो राहु की लार (सफेद) और केतु के खून (लाल) की कुछ बूंदें धरती पर गिरीं. ये बूंदें प्याज और लहसुन की जड़ों में बदल गईं. इसी वजह से लहसुन और प्याज कभी भी भगवान के भोग में नहीं डाले जाते.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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