कब्ज की समस्या का रामबाण उपाय हैं किचन में मौजूद ये सस्ती सी चीजें

Remedies For Constipation: पेट दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे बासी खाना खाना, लंबे समय तक खाली पेट रहना, तली-भुनी चीजें खाना या फिर मानसिक तनाव. अगर आप भी कब्ज की समस्या को दूर करने के उपाय तलाश रहे हैं तो किचन में मौजूद इन चीजों का करें इस्तेमाल.

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Kabj Ka Upaye: पेट दर्द की समस्या से हैं परेशान, इन आयुर्वेदिक उपायों से मिलेगा आराम.

पेट दर्द एक बहुत ही आम लेकिन बेहद परेशान करने वाली समस्या है. कभी गैस की वजह से, कभी बदहजमी, तो कभी कब्ज से पेट में दर्द या भारीपन महसूस होता है. आयुर्वेद के मुताबिक, जब शरीर में आम (टॉक्सिन) और वात दोष बढ़ जाता है, तो पाचन तंत्र कमजोर पड़ जाता है और पेट में दर्द, ऐंठन या जलन जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. इसी कारण पेट दर्द से राहत पाने के लिए जरूरी है कि हम अग्नि (पाचन शक्ति) को संतुलित रखें.

पेट दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे बासी खाना खाना, लंबे समय तक खाली पेट रहना, तली-भुनी चीजें खाना या फिर मानसिक तनाव. कई लोग खाना खाने के तुरंत बाद लेट जाते हैं या बार-बार चाय, कॉफी और ठंडा पानी पीते हैं, जिससे गैस और बदहजमी बढ़ जाती है. आयुर्वेद की मानें, तो पेट दर्द तीन तरह का होता है, पहला वातज उदरशूल, जिसमें गैस और मरोड़ होती है. दूसरा पित्तज उदरशूल, जिसमें पेट में जलन और खट्टे डकार आते हैं और तीसरा कफज उदरशूल, जिसमें भारीपन और मतली महसूस होती है.

कब्ज को दूर करने के उपाय- (Kabj Ka Gharleu Upaye)

1. अजवाइन काला नमक-

हर तरह के दर्द के लिए आयुर्वेद में अलग-अलग नुस्खे बताए गए हैं. सबसे आसान और असरदार घरेलू उपाय है अजवाइन और काला नमक. एक चम्मच अजवाइन में चुटकीभर काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से गैस और मरोड़ तुरंत शांत होती है.

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Photo Credit: Canva

2. हींग का पानी-

कब्ज में हींग पानी भी बहुत फायदेमंद है. चुटकीभर हींग गुनगुने पानी में मिलाकर पीएं, यह वात को संतुलित करता है. अगर पेट में जलन या बदहजमी है तो अदरक का रस और शहद मिलाकर लें, यह पाचन को सुधारता है. पेट पर हल्का गर्म तौलिया सेंक देने से भी ऐंठन में आराम मिलता है.

3. सौंफ की चाय-

सौंफ की चाय भी पेट दर्द की एक प्राकृतिक दवा है. एक चम्मच सौंफ को पानी में उबालकर हल्का गुनगुना पीएं. यह गैस और भारीपन को दूर करता है.

4. त्रिफला चूर्ण-

अगर दर्द बार-बार होता है, तो कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी मददगार हैं, जैसे हिंगवाष्टक चूर्ण (गैस और मरोड़ के लिए), त्रिफला चूर्ण (कब्ज के लिए) और अविपत्तिकर चूर्ण (पित्त संतुलन के लिए)इनका सेवन हमेशा वैद्य की सलाह से ही करें.

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इन उपायों के साथ ही जीवनशैली में कुछ बदलाव भी बहुत जरूरी हैं. रोज सुबह गुनगुना पानी पीएं, हल्का और सुपाच्य भोजन करें और खाना खाने के बाद 100 कदम चलने की आदत डालें. इसके अलावा, बहुत ठंडी या तली चीजों से परहेज करें और तनाव से दूर रहें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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