Hariyali Teej Special Food: भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के जश्न को मनाने के लिए हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. इस पर्व में महिलाएं अपने पती के लिए उपवास रखती हैं. शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. यह व्रत महिलाएं अपने विवाहित जीवन और परिवार की सुख समृद्धि के लिए भी करती हैं. "हरियाली", वह शब्द जो हरी-भरी हरियाली को संदर्भित करता है. इसके साथ ही ये उस मौसम का प्रतीक है जब भारतीय किसान मानसून की बारिश का स्वागत करते हैं और फसल के बीज बोते हैं. इसलिए इसे हरे रंग का त्योहार भी कहते हैं.
हरियाली तीज 2025 में कब है ( Hariyali Teej 2025 me kab hai)
इस साल सावन महीने (Sawan 2025) की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है. वहीं, हरियाली तीज का पर्व (Hariyali Teej 2025) का पर्व इस साल 26 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा.
हरियाली तीज को महिलाएं बहुत उत्साह के साथ मनाती हैं. इस दिन महिलाएं हरे रंग के नए कपड़े पहनती हैं. कलाइयों में हरे रंग की और हाथों में मेंहदी लगाती हैं. इस दिन तीज के पारंपरिक गीत गाए जाते हैं और महिलाएं झूला झूलती हैं और पारंपरिक तीज गीतों और नृत्य के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की कहानियां सुनाई जाती हैं. एक अनुष्ठान के रूप में, विवाहित महिलाएं अपने माता-पिता के घर जाती हैं, जहां उन पर उन्हें "सिंधारा" - मिठाई, चूड़ियां और उपहार मिलते हैं. कुछ महिलाएं इस दिन व्रत भी रखती हैं और शाम को पारंपरिक तरीके से व्रत खोलती हैं. इस दिन घरों पर तरह-तरह के पकवान भी बनते हैं. आइए जानते हैं कि आप इस दिन को और खास बनाने के लिए घर पर क्या पारंपरिक व्यंजन बना सकते हैं-
ये भी पढ़ें- अचानक चीनी छोड़ने से होते हैं 5 नुकसान, जानें कब और कितनी मात्रा में शुगर सेफ, हाई शुगर के लक्षण
हरियाली तीज पर बनाएं जाने वाले पारंपरिक व्यंजन
घेवर
मैदा, देसी घी और दूध को मिलाकर बनाया गया घेवर खाने में बेहद स्वादिष्ट लगता है. इसको खोए और ड्राई फ्रूट्स के साथ गार्निश कर के भी लोग खाना पसंद करते हैं.
मठरी
जैसे ही व्रत के बाद सूरज ढलता है, महिलाएं अपना व्रत खोलने के लिए मठरी खाती हैं. इसे मैदे, अजवाइन और थोड़ा सा घी डालकर बनाया जाता है और तेल में फ्राई किया जाता है.
अनरसा
यह एक डीप-फ्राइड स्नैक है जो तीज की परंपराओं की याद दिलाता है. भीगे और पिसे हुए चावल से तैयार, चीनी, दूध और तिल की मिठास के साथ बनता है.
खीर
खीर चाहे वो चावल की खीर हो या सेवई की तीज की दावत पर यह अवश्य बनाई जाती है. इसको अगर पूरी के सात खाते हैं तो एक अलग ही स्वाद मिलता है.
History of Samosa- Swaad Ka Safar | समोसे का इतिहास | जानें ईरान से भारत कैसे पहुंचा समोसा
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)