Right way to eat food : आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि हमारे पास चैन से बैठकर खाना खाने का भी समय नहीं है. ऑफिस की मीटिंग हो या बस पकड़ने की जल्दी, हम अक्सर खाना बस निगल लेते हैं. अगर आप भी ऐसा ही करते हैं, तो सावधान हो जाइए! यह जल्दबाजी आपके पेट में गैस की ऐसी समस्या पैदा कर सकती है, जिसे आयुर्वेद में 'सौ बीमारियों की जड़' माना गया है. तो चलिए जानते हैं जल्दबाजी में खाना खाने से क्या परेशानियां हो सकती हैं, पेट से जुड़ी परेशानियों से बचने के लिए क्या-क्या घरेलू उपाय हैं और भोजन करने का सही तरीका क्या है.
पेट में गैस खतरे की घंटी है
आज के समय में पेट में गैस बनना एक आम समस्या हो गई है. कई लोग इसे साधारण समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन यह पाचन तंत्र की गड़बड़ी और गलत जीवनशैली का संकेत हो सकता है. जब भोजन ठीक से नहीं पचता तो आंतों में किण्वन से कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन और मीथेन जैसी गैसें बनती हैं, जिससे पेट फूलना, भारीपन और दर्द होता है.
आखिर क्यों बनती है गैस?
पेट में गैस के मुख्य कारणों में तैलीय, मसालेदार और फास्ट फूड का ज्यादा सेवन; जल्दबाजी में बिना चबाए खाना, जिससे हवा निगल जाती है और आयुर्वेद के अनुसार कमजोर जठराग्नि (पाचन शक्ति), तनाव, चिंता और अनियमित दिनचर्या शामिल हैं. साथ ही दालें, सोडा वाले पेय और देर रात सोना भी मुख्य वजह हैं.
किचन में ही छिपा है इलाज
आयुर्वेद में वात से निजात पाने के कई उपाय सुझाए गए हैं. इनमें अजवाइन और काला नमक गुनगुने पानी के साथ लें, गैस तुरंत कम होती है. अदरक का टुकड़ा चबाएं, इससे पाचन मजबूत होता है. भोजन के बाद सौंफ चबाएं या पानी पिएं, गैस की समस्या दूर होती है. हींग को पानी में घोलकर पिएं या पेट पर मलें. गुनगुने पानी में नींबू मिलाकर पिएं. रात को सोने से पहले त्रिफला चूर्ण लें, कब्ज और गैस कम होती है.
बच्चों-बुजुर्गों में ज्यादा आम है. मेथी पानी, पेपरमिंट ऑयल और पेट मालिश भी मददगार हैं. संतुलित आहार, अच्छी आदतें और घरेलू नुस्खे अपनाकर इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है. हालांकि, सेवन से पहले वैद्य से सलाह जरूर लें.
खाना खाने का सही तरीका क्या है
आयुर्वेद में सही जीवनशैली या दिनचर्या को सौ समस्याओं की काट बताया गया है. समय पर धीरे-धीरे चबाकर खाना खाएं, भोजन के बाद न लेटें, वॉक करें, और पवनमुक्तासन और वज्रासन जैसे योगासन और प्राणायाम करें. तनाव कम करें. खास बात है कि नींद की कमी से भी यह समस्या होती है. आयुर्वेद में इसे अधोवायु विकार कहते हैं. लगातार समस्या लिवर-पैनक्रियाज को प्रभावित कर सकती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














