Diwali 2025: दिवाली 2025 इस बार तारीख को लेकर चर्चा में है, क्योंकि कार्तिक अमावस्या 20 और 21 अक्टूबर दोनों दिनों को स्पर्श कर रही है. ज्यादातर स्थानों पर मुख्य दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जा रही है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में 21 अक्टूबर का पालन हो सकता है. दिवाली का यह पांच दिवसीय उत्सव धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है. इन दिनों में पूजा-अर्चना के साथ भोग और पारंपरिक व्यंजनों की तैयारी भी विशेष महत्व रखती है. आइए इस बारे में जानते हैं.
जानें कब है धनतेरस, दिवाली और भाईदूज और इनसे जुड़े खास पकवान- (Know when is Dhanteras, Diwali and Bhai Dooj Learn about traditional dishes)
1. धनतेरस (18 अक्टूबर)
धनतेरस को धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का दिन माना जाता है. लोग नए बर्तन, धातु या पूजा सामग्री खरीदते हैं. इस दिन हल्दी, चावल, गुड़ और तिल या धना (सूखे धनिए के बीज) का भोग चढ़ाया जाता है. घरों में चना दाल का हलवा, मूंग दाल पंजीरी, कढ़ी-चावल और मेथी पूरी जैसे सरल और शुभ भोजन बनाए जाते हैं.
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2. नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली, 19 अक्टूबर-
यह दिन भगवान कृष्ण की नरकासुर पर विजय की स्मृति में मनाया जाता है. सुबह तिल तेल स्नान और दीपदान की परंपरा निभाई जाती है. पूजा में तिल, गुड़ और चिरौंजी से बना मीठा प्रसाद अर्पित किया जाता है. पुआ-पकवान, चिरौंजी हलवा, तिल के लड्डू और घर में बने मीठे स्नैक्स इस दिन की खाने की परंपरा का हिस्सा होते हैं.
3. दिवाली, 20 अक्टूबर-
कार्तिक अमावस्या की शाम लक्ष्मी और गणेश पूजा का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है. घरों में दीप जलाए जाते हैं और उत्सव का चरम दिखाई देता है. पूजा में खील, बताशा, मिश्री और सूखे मेवे अर्पित किए जाते हैं. गुझिया, काजू कतली, नमकीन मठरी, दाल-पूरी और चने की दाल जैसे पारंपरिक व्यंजन इसी दिन परोसे जाते हैं.
4. गोवर्धन पूजा / अन्नकूट, 22 अक्टूबर-
यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा है. मंदिरों और घरों में अन्नकूट सजाया जाता है, जिसमें विभिन्न सब्जियां, दालें और मिठाइयां शामिल होती हैं. कढ़ी-पकौड़ी, अन्नकूट सब्जी, पूरी, खीर और चने का प्रसाद इस दिन की थाली में रखा जाता है. इस दिन को थाली में पूरे 56 भोग बनाए जाते हैं.
5. भाई दूज, 23 अक्टूबर-
दिवाली का अंतिम दिन भाई-बहन के स्नेह को समर्पित होता है. बहन भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी आयु की कामना करती है. पूजा में पेड़ा, मिश्री या दही-चिवड़ा भोग के रूप में रखा जाता है. घरों में पूरी-चना, हलवा, गुझिया और पारंपरिक मिठाइयां बनाकर त्योहार का समापन होता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)