Hariyali Teej 2021: हरियाली तीज बस आने को है. इस खास दिन की तैयारी में सुहागने दिन रात जुटी रहती हैं और वो जिन्हें आस है एक अच्छे जीवन साथी की, उनके लिए भी ये दिन खासा महत्व रखता है. इस दिन तीजा माता की पूजा पाठ करके वो अच्छे वर की कामना करती हैं. सावन माह में आने वाली हरियाली तीज महत्वपूर्ण होती है. कहा जाता है कि सावन के महीने में तो भगवान शिव की कृपा बरसती है. ऐसे में हरियाली तीज का महत्व खास होता है.
कब है हरियाली तीज?
इस साल हरियाली तीज 11 अगस्त को है. सुबह 4.24 से तिथि शुरू हो रही है. इस बार तीज पर रवि योग भी बन रहा है. इसकी वजह से तीज का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है. ये सुबह 10.42 बजे से शुरू होगा.
हरियाली तीज का क्या है महत्व?
हर सुहागिन के लिए हरियाली तीज का बहुत महत्व होता है. दिनभर वो व्रत के लिए तैयारी करती हैं. शिव-पार्वती के पूजन के लिए पकवान बनाती हैं और रात में पूजा होती है. इसके बाद सुहागनें व्रत खोलकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं.
हर सुहागिन के लिए हरियाली तीज का बहुत महत्व होता है.
तीज पर बनने वाले पकवान-
1. दाल-बाटीः
तीज पर कुछ खास पकवान बनाने का चलन है. राजस्थान में तीज के मौके पर दाल-बाटी बनाई जाती है. दाल बाटी का भोग भगवान को भी अर्पित किया जाता है. दाल बाटी की दाल में आमतौर पर तुअर की दाल का इस्तेमाल होता है. कुछ स्थानों पर मिक्स दाल का भी उपयोग होता है. दालों को मिलाकर उन्हें उबाल लेते हैं और फिर प्याज टमाटर खड़े गर्म मसाले का तड़का लगाकर उसे छोंक दिया जाता है. पूजा में चढ़ाने की वजह से कई जगहों पर प्याज और लहसुन के तड़के से परहेज किया जाता है. बाटी बनाने के लिए आटे में नमक, अजवाइन और मोयन डालकर माढ़ा जाता है. कई जगह बाटी के आटे में रवा भी मिलाया जाता है ताकि खस्ता बाटी बन सके. आटा गूंथ कर उसकी छोटी-छोटी लोई बना कर कंडे पर सेंकी जाती हैं. इस बाटी को घी में डुबोने के बाद खाया जाता है.
2. घेवरः
सावन के त्योहारों में घेवर का भोग लगना आम बात है. राजस्थान, उत्तरप्रदेश और मालवा में इसका काफी चलन होता है. घेवर बनाने के लिए गाढ़े घी में मैदा घोला जाता है. घोल को थोड़ा पतला करने के लिए उसमें दूध मिलाया जाता है. एक गहरे बर्तन में घी डालकर ऊंचे हाथ से घेवर का घोल डालते हैं. घेवर तल कर तैयार हो जाए तो उसे निकाल कर चाशनी में डाला जाता है. घेवर को थोड़ा और खास बनाने के लिए उसके ऊपर मीठी मलाई या फिर रबड़ी की लेयर डाली जाती है.
3. आलू की कचौड़ीः
आलू की कचौड़ी भी हरियाली तीज पर बनने वाले विशेष पकवानों में से एक है. इसे बनाने के लिए आलू को उबाल कर मैश करना होता है. इसमें नमक मिर्च और दूसरे मसाले मिलाए जाते हैं. वैसे तो कचौड़ी मैदे की बनती है पर तीजा पर गेहूं के आटे की बनाई जाती है. यही वजह है कि कुछ जगह नमकीन पूड़ी के नाम से ये भोग लगाया जाता है. आटे को बेल कर उसमें आलू की फिलिंग की जाती है फिर उसे तला जाता है.
4. मालपुएः
मालपुए भी तीजा ही नहीं दूसरी पूजा में चढ़ने वाला अहम भोग है. आटे को मीठे पानी में घोलकर कुछ देर के लिए रख दिया जाता है. इसमें ड्राईफ्रूट्स, खसखस, नारियल का बूरा, इलायची पाउडर डाला जाता है और फिर छोटे आकार के डोसे की तरह कम तेल में तला जाता है. फिर इसे चाशनी में डाला जाता है. थोड़ी देर बाद मालपुए निकालकर उस पर बारीक या किसा हुआ पिस्ता डालकर उसे भगवान को अर्पित किया जा सकता है.
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