Chhath Puja 2021 Date: छठ के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. छठ का पर्व बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश की कई जगहों पर घूमधाम से मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार कार्तिक छठ पूजा (Chhath Puja 2021) का पावन पर्व 8 नवंबर 2021, सोमवार को कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि से आरंभ होगा. ये पर्व चार दिनों तक मनाया जायगा. छठ का पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. छठ की शुरूआत आज नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ होती है. छठ के दूसरे दिन को खरना कहते हैं. इस दिन व्रती को पूरे दिन व्रत रखना होगा. शाम को व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाएंगी. छठ व्रत के तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती है. चौथे दिन सूर्य देव को जल देकर छठ का समापन किया जाता है.
छठ पूजा ठेकुआ रेसिपीः (Chhath Puja 2021 Thekua Recipe)
छठ पूजा में ठेकुआ का बहुत महत्व होता है. ठेकुआ ज्यादातर बिहार और झारखंड के लोग बनाते और खाते हैं. ठेकुआ को छठ पूजा के मौके पर विशेष रूप से तैयार किया जाता हैं. ठेकुआ को खजुरिया या थिकारी के नाम से भी जाना जाता है. इसे विशेष रूप से छठ पूजा के समय बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में ज्यादा बनाया जाता है. ठेकुआ की पूरी रेसिपी के लिए यहां क्लिक करें.
छठ पूजा में ठेकुआ का बहुत महत्व होता है.
छठ पूजा सामग्रीः (Chhath 2021 Pujan Samagri)
छठ पूजा के लिए कुछ चीजों की जरूरत पड़ती है जैसे, साड़ी या धोती, बांस की दो बड़ी टोकरी, बांस या पीतल का सूप, गिलास, लोटा और थाली, दूध और गंगा, एक नारियल, गन्ना, चावल, एक दर्जन मिट्टी के दीपक, धूपबत्ती, कुमकुम, बत्ती, पारंपरिक सिंदूर, चौकी, केले के पत्ते, केला, सेव, सिंघाड़ा, हल्दी, मूली और अदरक का पौधा, शकरकंदी और सुथनी, पान और सुपारी, शहद, मिठाई, गुड़, गेहूं और चावल का आटा आदि.
छठ से जुड़ी कथाः (Chhath Puja 2021 Katha)
मान्यता के अनुसार छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशयों के किनारे आराधना करते हैं. इस पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. वहीं, पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है. छठ मईया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि ये व्रत संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए रखा जाता है.
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