कौन हैं दिल्ली के नए LG विनय कुमार सक्सेना? जानें- उनके बारे में 5 बड़ी बातें

विनय कुमार सक्सेना लेफ्टिनेंट गवर्नर पद के लिए चुने गए पहले कॉर्पोरेट व्यक्ति हैं, तीन दशकों से अधिक के विशाल अनुभव के साथ भारतीय कॉर्पोरेट और सामाजिक क्षेत्र में उनका जाना-माना नाम है

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विनय कुमार सक्सेना दिल्ली के नए उप राज्यपाल (LG) नियुक्त किए गए हैं.
नई दिल्ली:

विनय कुमार सक्सेना (Vinai Kumar Saxena) को सोमवार को दिल्ली का नया उप-राज्यपाल (Lieutenant-Governor) नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अनिल बैजल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और विनय कुमार सक्सेना को नया उप राज्यपाल नियुक्त किया है. सक्सेना की नियुक्ति अनिल बैजल के "व्यक्तिगत कारणों" का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद हुई है. विनय कुमार सक्सेना लेफ्टिनेंट गवर्नर पद के लिए चुने गए पहले कॉर्पोरेट व्यक्ति हैं. तीन दशकों से अधिक के विशाल अनुभव के साथ भारतीय कॉर्पोरेट और सामाजिक क्षेत्र में वे जाना-माना नाम हैं.

विनय कुमार सक्सेना ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) का नेतृत्व किया है. उनके अधीन यह आयोग देश का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला सरकारी संस्थान घोषित किया गया था. उत्तर प्रदेश के एक प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार में जन्मे सक्सेना ने 1981 में कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी और पायलट लाइसेंस प्राप्त किया. तकनीकी, कानूनी, सामाजिक और सांस्कृतिक कौशल के साथ संयुक्त सामाजिक और कॉर्पोरेट मामलों में उनका खास दखल रहा है. उनको कॉर्पोरेट वैज्ञानिक कहा जाता है.

दिल्ली के नए एलजी ने 1984 में जेके ग्रुप के साथ राजस्थान में एक सहायक अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया था. व्हाइट सीमेंट प्लांट के लिए 11 वर्षों तक काम करने के बाद उन्हें 1995 में गुजरात में प्रस्तावित बंदरगाह परियोजना की देखरेख के लिए महाप्रबंधक बनाया गया था. परियोजना में काम करने के बाद वे जल्द ही सीईओ बने और बाद में धोलेरा पोर्ट प्रोजेक्ट के डायरेक्टर बनाए गए. उन्होंने 1991 में अहमदाबाद में व्यापक रूप से पहचान बनाने वाले एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज (NCCL) की स्थापना की. अक्टूबर 2015 में सक्सेना को केवीआईसी (KVIC) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. वहां उन्होंने खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्र में पहली बार 'हनी मिशन', 'कुम्हार सशक्तिकरण योजना' और 'चमड़ा कारीगार' जैसी कई नवीन रोजगार-सृजन योजनाओं को लागू किया. 

सक्सेना के नेतृत्व में KVIC के कारोबार में 248 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई, जबकि केवल सात वर्षों में बड़े पैमाने पर 40 लाख नए रोजगार सृजित हुए. सक्सेना के कार्यकाल के दौरान, KVIC ने पहली बार 2021-22 में 1.15 लाख करोड़ रुपये का ऐतिहासिक कारोबार किया, जो KVIC और भारत में अब तक की किसी भी FMCG कंपनी का सबसे अधिक कारोबार है. उन्होंने खादी को एक वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 

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उनके कौशल को मान्यता देते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें कई प्रतिष्ठित समितियों और पैनलों में भी नामित किया. 5 मार्च, 2021 को सक्सेना को भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए राष्ट्रीय समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. नवंबर 2020 में उन्हें वर्ष 2021 के लिए उच्चाधिकार प्राप्त पद्म पुरस्कार चयन समिति का सदस्य नामित किया गया था. 2016 से 2022 तक सक्सेना को "प्रधानमंत्री पुरस्कार" के मूल्यांकन के लिए हर साल 'अधिकार प्राप्त समिति' का सदस्य नामित किया गया. 9 सितंबर, 2020 को उन्हें तब प्रतिष्ठित "वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की "शासी परिषद" का सदस्य नामित किया गया था. राष्ट्रपति ने 18 मार्च 2019 को सक्सेना को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के यूनिवर्सिटी कोर्ट का सदस्य नामित किया.

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अपनी छह दशक की यात्रा के दौरान विनय कुमार सक्सेना ने अपनी उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार भी जीते हैं. मई 2008 में उन्हें गुजरात में "पर्यावरण संरक्षण और जल सुरक्षा में उत्कृष्ट योगदान" के लिए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास दशक (UNDESD)का अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला. मई 2007 में सक्सेना के एनजीओ  एनसीसीएल को अहमदाबाद शहर में धूल प्रदूषण को कम करने के लिए अनूठी परियोजना "मिशन एंड्योर" के लिए प्रतिष्ठित यूएन-हैबिटैट समर्थित दुबई इंटरनेशनल अवार्ड फॉर बेस्ट प्रैक्टिस मिला.

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