त्रिपुरा चुनाव : बीजेपी को और ज्यादा की उम्मीद, CPM कर रही वापसी की कोशिश : 10 प्वाइंट्स

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव (Tripura Assembly Elections) : पूर्व शाही प्रद्योत किशोर देबबर्मा की ग्रेटर टिपरालैंड की प्रमुख मांग के साथ गठित नई पार्टी टिपरा मोथा भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है.

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बीजेपी ने शुरू में टिपरा मोथा के साथ तालमेल बनाने का प्रयास किया था.

नई दिल्ली:

त्रिपुरा में आज त्रिकोणीय मुकाबले में मतदान हो रहा है. सत्तारूढ़ बीजेपी बड़ी जीत की उम्मीद कर रही है. उधर, सीपीएम ने अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस से हाथ मिला लिया है. त्रिशंकु सदन होने की स्थिति में नई पार्टी टिपरा मोथा के पास सारे पत्ते रहेंगे.

  1. 30 से अधिक वर्षों तक, त्रिपुरा में सीपीएम का शासन था. 2018 में उलटफेर कर भाजपा ने इतिहास रचा. राज्य की 60 में से 36 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की. इससे पहले तक भाजपा की यहां व्यावहारिक रूप से उसकी कोई उपस्थिति नहीं थी.
  2. हालांकि, 2018 के चुनाव में भाजपा को जनता ने 31 के बहुमत के निशान से काफी ऊपर धकेल दिया था. भाजपा ने क्षेत्रीय आईपीएफटी (इंडिजेनस प्रोग्रेसिव फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) के साथ गठबंधन किया था और उसे भी आठ सीटें मिलीं थीं. 
  3. 35 वर्षों तक त्रिपुरा पर शासन करने वाली सीपीएम ने कांग्रेस के साथ इस बार गठबंधन किया है और चुनाव अभियान का नेतृत्व चार बार के मुख्यमंत्री माणिक सरकार कर रहे हैं. वाम मोर्चा राज्य की 60 में से 47 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, जबकि कांग्रेस सिर्फ 13 सीटें पर चुनाव लड़ रही है.
  4. सीपीएम ने 2018 में 16 सीटें जीतीं थीं. कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. कांग्रेस पिछली विधानसभा में मुख्य विपक्ष पार्टी थी. सीपीएम को उम्मीद है कि उनका गठबंधन करीब 13 सीटों पर वोट जोड़ने में मदद करेगा, लेकिन गठबंधन ने दोनों दलों की केरल इकाइयों के बीच भौंहें चढ़ा दी हैं, जहां वे दशकों से कट्टर दुश्मन हैं.
  5. पूर्व शाही प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने ग्रेटर टिपरालैंड की एक प्रमुख मांग के साथ नई पार्टी टिपरा मोथा भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है. भाजपा के साथ स्थानीय पार्टी आईपीएफटी है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में कुछ सीटों पर उसकी पकड़ ढीली हुई है. 2021 में, जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद चुनावों में आईपीएफटी का सफाया हो गया था. इस विधानसभा चुनाव में आईपीएफटी को लड़ने के लिए केवल पांच सीटों को स्वीकार करना पड़ा है.
  6. बीजेपी ने शुरू में टिपरा मोथा के साथ तालमेल बनाने का प्रयास किया था, लेकिन इसके प्रयासों को तब झटका लग गया, जब भाजपा ने यह घोषणा की कि वह त्रिपुरा के विभाजन की अनुमति नहीं देगी. केंद्रीय मंत्री अमित शाह के टिपरा मोथा को "सीपीएम-कांग्रेस की बी टीम" होने का आरोप लगाने पर टिपरा मोथा ने सख्त रुख अपना लिया है.
  7. देबबर्मा ने कहा, "भाजपा नागालैंड में एक बी-टीम है. मेघालय, शिलॉन्ग और गारो हिल्स में, वे किसी अन्य पार्टी की बी-टीम हैं. आप मिजोरम में किसी अन्य पार्टी की बी-टीम हैं. तमिलनाडु में आप AIADMK की बी-टीम हैं. पंजाब में, आप अकाली दल की बी-टीम हैं. बीजेपी भारत में कई पार्टियों की बी-टीम है. टिपरा मोथा 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
  8. पूर्वोत्तर में भाजपा के प्रमुख और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस दौर में होने वाले सभी तीन पूर्वोत्तर राज्यों में पार्टी के बेहद बेहतर प्रदर्शन की भविष्यवाणी की है.
  9. हिमंत बिस्वा सरमा ने एनडीटीवी से विशेष साक्षात्कार में कहा, "मेघालय में, भाजपा एक अधिक महत्वपूर्ण राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरेगी. त्रिपुरा में, हम बड़े बहुमत से सत्ता बरकरार रखेंगे और नागालैंड में, हम फिर से एनडीपीपी के साथ सरकार बनाएंगे." त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने भाजपा के पक्ष में "सुनामी" आने की भविष्यवाणी की है. 
  10. मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को चुनाव होने हैं. वोटों की गिनती 2 मार्च को होगी.