धंसते जोशीमठ मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग: 10 बड़ी बातें

उत्तराखंड का मशहूर कस्बा धंसने की वजह से इस वक्त देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है. मौजूदा संकट की वजह से बहुत से लोगों को अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह पर जाना पड़ा. इसी संकट पर आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होने जा रही है.

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जोशीमठ पर मंडराया बड़ा खतरा

नई दिल्ली:

उत्तराखंड का मशहूर कस्बा धंसने की वजह से इस वक्त देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है. मौजूदा संकट की वजह से बहुत से लोगों को अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह पर जाना पड़ा. इसी संकट पर आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होने जा रही है.

  1. धंसते जोशीमठ मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.
  2. इस याचिका में जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई है. साथ ही ये भी कहा गया है कि उत्तराखंड के लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवज़ा दिया जाना चाहिए.
  3. उत्तराखंड के जोशीमठ में आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा नें दरारों का निरीक्षण किया. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि दरारों में थोड़ी बहुत बढ़ोत्तरी हुई है.
  4. जोशीमठ में आई दरारों का पैटर्न खोजने की कोशिश की जा रही है ताकि भविष्य में कोई दिक्कत ना आए. साथ ही मौजूदा हालात के बारे में और सटीक जानकारी मिल सकेगी.
  5. उत्तराखंड के जोशीमठ में PMO के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल मे जेपी कंपनी और आस-पास के इलाकों का निरीक्षण किया. इसके साथ ही उन्होंने वहां मौजूद लोगों से भी बात की
  6. उत्तराखंड के जोशीमठ में जेपी कॉलोनी की टूटी दीवार की दोबारा बनाने का काम जारी हो चुका है. इस दीवार में पिछले कई दिनों से पानी बह रहा है.
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  8. उत्तराखंड के जोशीमठ में नेश्नल जिओफ़िज़िक्स इंस्टीट्यूट ऑफ हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने आकर जांच की. इन्होने जोशीमठ में ज़मीन की भार क्षमता की जांच की..
  9. उत्तराखंड के जोशीमठ के बाद जोशीमठ से पांच किमी दूर गांव सेलंग में भी दरारें आने शुरू हो गई है. जिसकी वजह से लोग दहशत में है. 
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  11. उधर जोशीमठ के चाई गांव के घरों में भी दरारें देखी गई हैं. घरों में दरारें पड़ने से लोग परेशान है. ऐसे में जोशीमठ के आसपास रहने वाले लोग काफी चिंतित हैं.
  12. मारवाडी क्षेत्र में स्थित जेपी कॉलोनी में संभवत: किसी भूमिगत जलधारा से हो रहे पानी के रिसाव में कमी आने के दो दिन बाद फिर इसमें बढोत्तरी देखी गयी है
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