"भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है": नागपुर में विजयादशमी उत्सव के दौरान बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आरएसएस के विजयादशमी उत्सव के अवसर पर शस्त्र पूजा की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस के शताब्दी वर्ष में कदम रखने के कारण यह साल महत्वपूर्ण है. दरअसल आज आरएसएस की स्थापना के 99 साल पूरे हो रहे हैं. साल 1925 में विजयादशमी के दिन ही आरएसएस की स्थापना हुई थी.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आरएसएस के विजयादशमी उत्सव के अवसर पर शस्त्र पूजा की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस के शताब्दी वर्ष में कदम रखने के कारण यह साल महत्वपूर्ण है. दरअसल आज आरएसएस की स्थापना के 99 साल पूरे हो रहे हैं. साल 1925 में विजयादशमी के दिन ही आरएसएस की स्थापना हुई थी.

  1. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि हमारे सामने कई चुनौतियां भी हैं. हमारा देश आगे भी आगे ही बढे़गा. बात चुनौती की करें तो उसका विचार हम सबको करना चाहिए. ये सिर्फ संघ या हिंदू समाज के सामने नहीं ना ही ये सिर्फ भारत वर्ष के सामने है. ये चुनौती पूरी दुनिया के सामने उठ रही है. इसकी चर्चा करना जरूरी है.
  2. उन्होंने कहा कि भारत आगे बढ़ रहा है. लेकिन भारत आगे ना बढ़े, ऐसी सोच रखने वाली शक्तियां भी मौजूद हैं. ऐसे लोग तरह-तरह की चालें चलेंगे. वो भारत को रोकने के लिए कुछ भी करेगा.
  3. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत अपने स्वार्थ की बली देकर भी सबको आगे बढ़ाने का काम करता है. हम सबकी मदद करते हैं. शांति रहे इसके लिए हमने अपने हितों का बलिदान भी किया है और करते भी हैं. इसलिए भारत आगे बढ़ रहा है.
  4. बांग्लादेश का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हमारे पड़ोस में बांग्लादेश में जो हुआ वो उदाहरण है. जितना बड़ा उत्पाद हुआ, वो ऐसे ही नहीं होता है. पहली बात ये है कि उस उत्पाद के कारण वहां के हिन्दू समाज पर जो अत्याचार बार-बार होते हैं, उसे दोहराया गया है. पहली बार वहां का हिन्दू संगठित होकर सामने आया है. इसलिए वो बच पाए.  बांग्लादेश में यह बात फैलाई जा रही है कि भारत उसके लिए एक खतरा है.
  5. उन्होंने आगे कहा कि दुर्बलों पर अपना गुस्सा निकालने की कट्टरपंतों की प्रवृति सही नहीं है. ये कही सें भी सही नहीं है. उनको जरूरत है मदद की. भारत सरकार की सहायता उनको मिले ये उनकी जरूरत है. जहां कहीं भी हम हैं, वहां हमें संगठित और सशक्त रहने की जरूरत है. किसी से दुश्मनी नहीं करना है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम दुर्बल और अशक्त बने रहें.
  6. मोहन भागवत ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्तियों और कुटुम्बों की मित्रता होनी चाहिए. हम जहां रहते हैं, जहां घूमते, वहां सभी के साथ हमारी मित्रता होनी चाहिए. यही समाज में समरसता लाती है. आचरण लाने के लिए मित्रता चाहिए. जहां-जहां लोगों को समझाना जरूरी है. वहां समझाना जरूरी है. 
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  8. मोहन भागवत ने नागपुर में विजयादशमी उत्सव में कहा कि इजराइल-हमास युद्ध चिंता का विषय है.
  9. मोहन भागवत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के चुनाव भी शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गए. इसका ही परिणाम हम देखते हैं कि सारे दुनिया में भारत की साख बढ़ी है.
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  11. योग का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हमारा योग सारी दुनिया में एक फैशन बनता जा रहा है. उसके शास्त्र और परिणाम को भी दुनिया स्वीकार कर रही है.
  12. उन्होंने कहा कि पर्व त्योहार सबके होने चाहिए. आज हालात ऐसी है कि हमने अपने संतों तक को बांट लिया है. भगवान वाल्मीकि की जंयती सिर्फ वाल्मीकि समाज के लोग ही क्यों मनाएं. हम सभी को एक साथ मिलकर सभी के पर्व को मनाना चाहिए. मंदिर हो या कोई और जगह वह सबके लिए खुलने चाहिए.
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