एक दलित सिख और निवर्तमान तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के नए मुख्यमंत्री होंगे. कांग्रेस ने यह घोषणा कर दी है. अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के तीन दिन बाद राज्य में चुनावी ड्रामा शुरू हो गया.
रूपनगर के चमकौर साहिब से तीन बार विधायक रहे 58 वर्षीय चरणजीत चन्नी सोमवार को सुबह 11 बजे पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. अगले साल के चुनावों को देखते हुए उनकी पदोन्नति महत्वपूर्ण है. अहम तथ्य यह है कि दलित पंजाब की आबादी का लगभग 31 प्रतिशत हैं. चन्नी के डिप्टी सिख और हिंदू समुदायों से हो सकते हैं.
चरणजीत चन्नी को चुनने के पीछे का चुनावी गणित आसान लगता है. अकाली दल (पहले भाजपा के साथ सत्ता में था) ने दलित वोट बटोरने के लिए मायावती की बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाया है. कांग्रेस को उम्मीद है कि दलित + सिख मुख्यमंत्री के रूप में चन्नी इसका मुकाबला करेंगे.
एक महिला आईएएस अधिकारी द्वारा चन्नी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने के कारण मुख्यमंत्री के लिए कांग्रेस की पसंद की आलोचना हो सकती है. चन्नी ने कथित तौर पर 2018 में एक अनुचित संदेश भेजा था, लेकिन अधिकारी ने कभी शिकायत दर्ज नहीं की. मई में राज्य के महिला आयोग द्वारा नोटिस भेजे जाने के बाद राज्य सरकार से प्रतिक्रिया मांगे जाने पर यह मामला फिर से सामने आया.
चन्नी की नियुक्ति की खबर तब आई जब सूत्रों ने कहा कि निवर्तमान मंत्री सुखजिंदर रंधावा को शीर्ष पद दिया जाएगा. रंधावा के नाम पर सभी विधायकों की सहमति नहीं थी और कांग्रेस आलाकमान यह सुनिश्चित करना चाहता था कि नए मुख्यमंत्री को पार्टी में अधिकतम समर्थन मिले. इसके बाद सीएम पद के लिए नया नाम सामने आया.
62 साल के रंधावा निवर्तमान जेल और सहकारिता मंत्री हैं. उन्होंने चरणजीत चन्नी का अगला मुख्यमंत्री घोषित किए जाने के बाद कहा ''मैं आलाकमान के फैसले से खुश हूं.... मैं उन सभी विधायकों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मेरा समर्थन किया. चन्नी मेरे भाई हैं..."
अमरिंदर सिंह ने नए मुख्यमंत्री को अपनी "शुभकामनाएं" दीं और अपनी नई जिम्मेदारी को लेकर चुनौतियों की याद दिलाई है. उन्होंने कहा, "चरणजीत सिंह चन्नी को मेरी शुभकामनाएं. मुझे उम्मीद है कि वह सीमावर्ती राज्य पंजाब को सुरक्षित रखने और सीमा पार से बढ़ते सुरक्षा खतरे से हमारे लोगों की रक्षा करने में सक्षम हैं." राहुल गांधी ने भी बधाई दी और चन्नी को पंजाब के लोगों से किए गए वादों की याद दिलाई.
राज्यसभा सांसद अंबिका सोनी, जिन्हें मुख्यमंत्री के लिए पार्टी की पहली पसंद माना जाता है, के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद आज सुबह विधायक दल की बैठक स्थगित कर दी गई. राहुल गांधी के साथ देर रात हुई बैठक में अंबिका सोनी ने "नहीं" कहा; उन्होंने एक गैर-सिख मुख्यमंत्री के "प्रभावों" पर जोर दिया, विशेष रूप से एक चुनाव से पहले.
कल अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें 'अपमानित' किया गया और उन्होंने इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के पहले प्रतिद्वंद्वी नवजोत सिद्धू के साथ उनकी लंबे समय तक तनातनी चली. ताबूत में आखिरी कील शुक्रवार की रात में कांग्रेस विधायकों की बैठक में ठोकी गई. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि पार्टी के 80 में से 50 विधायकों ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा और अमरिंदर सिंह को बदलने के लिए कहा.
नाराज अमरिंदर सिंह ने सोनिया गांधी से कहा कि अब बहुत हो चुका. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस नेतृत्व ने मुझे तीन बार अपमानित किया...' उन्होंने खुद को "पीड़ित" कहा और सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अपने शासन काल के ट्रैक रिकॉर्ड का बचाव किया. कैप्टन ने एनडीटीवी से यह भी कहा कि हालांकि उन्होंने इस्तीफा दे दिया, लेकिन अपने देश की खातिर वे सीएम पद के लिए उनके (नवजोत सिद्धू) के नाम का विरोध करेंगे.
अमरिंदर सिंह-नवजोत सिद्धू का झगड़ा 2017 के चुनाव से है. सिद्धू को तब उप मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद थी, लेकिन सिंह ने कथित तौर पर इनकार कर दिया था. हाल के हफ्तों में दरार तेजी से बढ़ी और सिद्धू के सलाहकारों के बयानों के बाद एक जोरदार संघर्ष छिड़ गया. पिछले महीने सिंह के खिलाफ ताजा शिकायतों ने सप्ताहांत के नाटक के लिए मंच तैयार किया.