नोएडा ट्विन टावर के ढहने के बाद मलबे के ढेर को हटाने का काम शुरू: 10 बड़ी बातें

नोएडा के सेक्टर 93ए स्थित ट्विन टावर को ढहाया जा चुका है. जिसके बाद पूरा टावर मलबे के ढेर में तब्दील हो गया. अब इस मलबे को हटाने की कवायद शुरू हो चुकी है.

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मलबे का पहाड़
नोएडा:

नोएडा के सेक्टर 93ए स्थित ट्विन टावर को ढहाया जा चुका है. जिसके बाद पूरा टावर मलबे के ढेर में तब्दील हो गया. अब इस मलबे को हटाने की कवायद शुरू हो चुकी है.

  1. साइट पर सफाईकर्मी काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जहां कल दोपहर 2.30 बजे तक ट्विन टावर खड़े थे, अब वहां जमीन से धूल की परत को हटा जा रही है.
  2. विस्फोटो के कारण होने वाली धूल को कम करने के लिए लगाए गए ट्विन टावर के बगल में इमारतों के कवर अभी तक नहीं उतरे हैं, और उनके सामने मलबे का एक विशाल पहाड देखा जा सकता है.
  3. NDTV ने नोएडा के सेक्टर 93A में हाउसिंग सोसाइटी के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की सदस्य आरती कप्पुला से बात की. उन्होंने कहा कि वह रात करीब 11.30 बजे घर लौटी, तब भी "डायनामाइट की गंध आ रही थी, बाकी सब ठीक था. हमने बस एसी के कवर हटा दिए और सो गए."
  4.  उन्होंने बताया कि आज सुबह उन्होंने साफ आसमान देखा. आरडब्ल्यूए सदस्य ने कहा, "हमें एक सलाह मिली थी कि प्रदूषण होगा. जब मैं उठी तो मैंने नीला आकाश देखा, इसलिए मैं बिना मास्क के बाहर आई."
  5. कानूनी जीत और ट्विन टावरों के विध्वंस का जश्न मनाने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि हमने आज शाम इसकी योजना बनाई है. हम थोड़ी देर के लिए साथ रहने वाले हैं. ये लड़ाई निश्चित रूप से पूरे देश के लिए एक उदाहरण है."
  6. सोसायटी के निवासियों ने अदालत का रुख किया था, यह तर्क देते हुए कि सुपरटेक ने एक ऐसे क्षेत्र में टावरों का निर्माण किया था. जहां पार्क बनाया जाना था. लेकिन रियाल्टार ने अधिक फ्लैट बेचने और लाभ मार्जिन बढ़ाने की मंशा से मानदंडों का उल्लंघन किया.
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  8. रियाल्टार ने बाद में 24 मंजिलों के साथ दो और टावरों को शामिल करने के लिए भवन योजना को संशोधित किया. इसे अधिकारियों ने मंजूरी दे दी है. बाद में मंजिलों की संख्या बढ़ाकर 40 कर दी गई थी.
  9. जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा तो पाया गया कि रियाल्टार ने नोएडा के अधिकारियों की मिलीभगत से बिल्डिंग के नियमों का उल्लंघन किया है. अदालत ने पिछले साल रियाल्टार के खर्च पर टावर को गिराने का आदेश दिया था.
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  11. सोसाइटी के निवासियों और रियाल्टार के बीच कानूनी लड़ाई में यूपी सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया. जिस पर निवासी ने कहा कि, "मुझे उम्मीद है कि सरकार ऐसी ही बनी रहेगी. अधिकारियों की गलती का खामियाजा निवासियों को भुगतना पड़ता है.
  12. उन्होंने कहा कि उनकी तत्काल चिंता विध्वंस स्थल पर फैला मलबा है. एडिफिस, ने शुरू में उनसे कहा था कि वे मलबे के बड़े टुकड़ों को तोड़ देंगे और धीरे-धीरे इसे साफ कर देंगे. "हम ऐसा नहीं चाहते हैं, प्रदूषण के कारण हमें काफी नुकसान हुआ है, हम चाहते हैं कि वे क्रेन और लॉरी में मलबा उठाएं और उन्हें ले जाएं. वे उन्हें कहीं भी तोड़ सकते हैं, लेकिन यहां नहीं.
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