'महाकाल लोक' का लोकार्पण
सफेद धोती, अंग-वस्त्र, केसरिया दुपट्टा, माथे पर त्रिपुंड और गले में रुद्राक्ष की माला धारण किये हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे भक्ति-भाव से भगवान श्री महाकाल का पूजन एवं आरती की. इस दौरान पीएम ने महाकालेश्वर का जप एवं ध्यान भी किया.
महाकाल लोक की खास बातें
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकालेश्वर के नए परिसर के लोकार्पण पर कहा कि उज्जैन के क्षण-क्षण और पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है. यहां के कण-कण में अध्यात्म समाया हुआ है. प्रधानमंत्री ने कहा कि संपूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा को हमारे ऋषियों ने प्रतीक स्वरूप में उज्जैन में समाहित किया है.
- महाकाल लोक के लोकार्पण से पहले शाम साढ़े छह बजे पीएम ने महाकाल के दर्शन किए. उसके बाद वो महाकाल लोक परिसर में गए. वहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री को महाकाल लोक से जुड़ी जानकारियां दी. वहां बने 108 पिलर और म्यूरल्स के बारे में बताया.
- देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर का मंदिर उज्जैन में स्थित है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ थे. पीएम मोदी ने अकेले गर्भगृह में प्रवेश किया. जहां पुजारियों ने उनके माथे पर चंदन का लेप लगाया. उन्होंने लगभग 20 मिनट तक मुख्य पुजारी घनश्याम पुजारी और अन्य लोगों द्वारा मंत्रोच्चारण के बीच अनुष्ठान व पूजा की.
- पूजा के बाद पीएम मोदी ने भगवान शिव की पूजा में पवित्र माने जाने वाले बेलपत्र और रुद्राक्ष की माला धारण कर 10 मिनट तक ध्यान लगाया. वह गर्भगृह के बाहर नंदी बैल के पास बैठे और लगभग पांच मिनट तक हाथ जोड़कर पूजा की. इसके बाद उन्होंने दान पात्र में दान भी किया.
- पूजा के बाद प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल के साथ मंदिर परिसर का दौरा किया. उन्होंने साधुओं के समूह का हाथ जोड़कर अभिवादन किया. इससे पहले, प्रधानमंत्री अहमदाबाद से इंदौर हवाई अड्डा पहुंचे जहां मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उनका स्वागत किया.
- इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी हेलीकॉप्टर से उज्जैन रवाना हुए जहां राज्यपाल मंगू भाई पटेल और चौहान ने उनकी अगवानी की. करीब 900 मीटर लंबा ‘महाकाल लोक' गलियारा पुरानी रुद्र सागर झील के चारों और फैला हुआ है. उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के क्षेत्र को पुनर्विकास करने की परियोजना के तहत रुद्र सागर झील को पुनर्जीवित किया गया है.
- गलियारे के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार-नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बनाए गए हैं. यह गलियारा मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाता है तथा मार्ग में मनोरम दृश्य पेश करता है. महाकाल मंदिर के नवनिर्मित गलियारे में 108 स्तंभ बनाए गए हैं, 910 मीटर का यह पूरा गलियारा इन स्तंभों पर टिका होगा. उन्होंने बताया कि महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है, सैकड़ों वर्षों के बाद उसे साकार रूप दे दिया गया है.
- राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर उज्जैन स्थित 856 करोड़ रुपये की महाकालेश्वर मंदिर गलियारा विकास परियोजना के पहले चरण का मंगलवार को उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया. पहले चरण में महाकाल लोक को 316 करोड़ रुपये में विकसित किया गया है.
- कॉरिडोर में दो राजसी प्रवेश द्वार- नंदी द्वार और पिनाकी द्वार आपको नजर आएंगे. यहां आपको बलुआ पत्थरों से बने जटिल नक्काशीदार 108 अलंकृत स्तंभों की एक आलीशान स्तम्भावली, फव्वारों और शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 से अधिक भित्ति-चित्रों की एक श्रृंखला नजर आएगी.
- मध्य प्रदेश के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक उज्जैन के इस कॉरिडोर के बनने के बाद महाकाल मंदिर परिसर दस गुना बड़ा हो गया है. पहले यह केवल 2 हेक्टेयर में फैला था लेकिन अब यह 20 हेक्टेयर में फैल गया है. पहले चरण में महाकाल लोक को 316 करोड़ रुपये में विकसित किया गया है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर 5 एकड़ में बना है, यानी महाकाल कॉरिडोर उससे 4 गुना बड़ा है. इस कॉरिडोर की कई विशेषताएं हैं.
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