गुप्त नवरात्रि 02 फरवरी से शुरू हो चुकी है, जिसका समापन 10 फरवरी 2022 दिन शुक्रवार को होगा. गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में दस महाविद्याओं की देवियों की पूजा-उपासना की जाती है. बता दें कि गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ में आती है. मान्यता है कि माघ मास की गुप्त नवरात्रि में मां की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. बता दें, गुप्त नवरात्रि में माता के नौ रूपों की नहीं, बल्कि 10 महाविद्याओं की पूजा की (Significance of Gupt Navratri) जाती है. गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या देवियों मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां काली, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी, मां कमला की गुप्त तरीके से पूजा-उपासना का विधान है. गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं के पूजन के समय उनके इन मंत्रों का जाप करना शुभ और फलदायी माना जाता है.
दस महाविद्याओं के लिए पूजा मंत्र
देवी काली
मंत्र- 'ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः'
तारा देवी
मंत्र- 'ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट'
त्रिपुर सुंदरी देवी
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः'
देवी भुवनेश्वरी
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः'
देवी छिन्नमस्ता
मंत्र- 'श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:'
त्रिपुर भैरवी देवी
मंत्र- 'ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:'
धूमावती माता
मंत्र- 'ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:'
बगलामुखी माता
मंत्र- 'ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:'
मातंगी देवी
मंत्र- 'ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:'
देवी कमला
मंत्र- 'ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:'
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)