Sheetla Ashtami 2025 : शीतला अष्टमी में क्यों खाते हैं बासी खाना, यहां जानिए महत्व

Basoda shubh muhurat 2025 : क्या आपने सोचा है आखिर बसोड़ा के दिन शीतला माता को बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है.  आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक व वैज्ञानिक मान्यता...

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Sheetla Ashtami 2025 : शीतला अष्टमी में क्यों खाते हैं बासी खाना, यहां जानिए महत्व
Shitla ashtami 2025 : बसोड़ा के दिन बासी खाने का भोग लगाने के पीछे धार्मिक मान्यता सादगी को महत्व देना है.

Shitla Ashtami significance : चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन शीतला अष्टमी मनाया जाता है. इसे बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है. शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता (Shitla mata puja) को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार शीतला अष्टमी की पूजा करने से परिवार में चेचक, खसरा और आंखों से जुड़ी संक्रमित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. लेकिन क्या आपने सोचा है आखिर बसोड़ा के दिन शीतला माता को बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है.  आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक व वैज्ञानिक मान्यता, शीतला अष्टमी की तिथि और पूजा मुहूर्त.

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शीतला अष्टमी के दिन क्यों लगता है बासी खाने का भोग - Why is stale food offered on Sheetla Ashtami?

धार्मिक महत्व
  • बसोड़ा (Basoda) के दिन बासी खाने का भोग लगाने के पीछे धार्मिक मान्यता सादगी को महत्व देना है.
  • इस परंपरा के पीछे का उद्देश्य है आडंबरों को छोड़ संतोष और सरलता को बढ़ावा देना.
  • इस दिन बासी भोजन प्रसाद के रूप में चढ़ाने के पीछे उद्देश्य भौतिक सुख साधनों को छोड़ना और आध्यात्मिक शांति की तरफ बढ़ना है. 
वैज्ञानिक महत्व
  • वहीं, इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व यह है कि चैत्र के महीने से गर्मी शुरु हो जाती है, ऐसे में ठंडा भोजन आपके पेट को राहत पहुंचाने का काम करता है. 

शीतला अष्टमी पूजा तिथि और मुहूर्त 2025 - Sheetala Ashtami Puja Date and Muhurta 2025

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च सुबह 4:23 मिनट पर शुरू होगी और समापन 23 सुबह 5:23 मिनट पर होगा. उदयातिथि पड़ने के कारण शीतला अष्टमी की पूजा 22 मार्च 2025 को की जाएगी. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:23 मिनट से लेकर शाम 6: 33 मिनट तक है. वैसे बसोड़ा की पूजा सूर्योदय से पहले ही की जाती है. 

शीतला अष्टमी मंत्र

1 - शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः।।

2 - ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः
3 - वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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