हरियाली तीज पति की लंबी आयु तक ही सीमित नहीं, प्रकृति से भी है इस पर्व का गहरा संबंध, जानिए कैसे ज्योतिर्विद अलकनंदा शर्मा से

Hariyali teej 2025 : यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण के गहरे संदेश भी देता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
यह पेड़ों से आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है. इससे ग्रामीण समाज में वृक्षों को काटने की बजाय संरक्षित करने की भावना जागती है.

Hariyali Teej & nature relation : हिन्दू धर्म में पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए पत्नियों द्वारा कई व्रत रखे जाते हैं, जिसमें से एक सावन माह की हरियाली तीज भी है. जिसका इंतजार विवाहित महिलाएं पूरे साल करती हैं. इस दिन महिलाएं हाथों में मेहंदी रचाकर और सोलह श्रृंगार करके देवी पार्वती और भोलेनाथ की पूजा करती हैं. वैसे तो हरियाली तीज का उपवास मुख्यत निर्जला रखा जाता है, लेकिन कोई स्त्री गर्भवती हैं या फिर स्वास्थ्य से जुड़ी कोई परेशानी है तो फिर पानी का सेवन और फलहारी करके भी रहा जा सकता है.

आपको बता दें कि उत्तर भारत में प्रमुखता से मनाया जाने वाला यह पर्व केवल एक धार्मिक त्यौहार ही नहीं बल्कि प्रकृति का उत्सव भी है.

Rakshabandhan 2025 tithi : पत्नी भी पति को बांध सकती है राखी? जानिए ज्योतिर्विद से क्या कहता है शास्त्र

Advertisement

इस बारे में ज्योतिषाचार्य डॉ. अलकनंदा शर्मा कहती हैं कि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण के गहरे संदेश भी देता है. दरअसल, हरियाली तीज वर्षा ऋतु में आती है. इस समय धरती पर हरियाली छा जाती है, जिससे इसका नाम "हरियाली तीज" पड़ा.  यह ऋतु खेतों में फसल बोने का समय है, और वातावरण शुद्ध व पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है.

Advertisement
वृक्षों से संबंध

इस पर्व पर महिलाएं झूले डालती हैं, जो अक्सर पेड़ों पर लगाए जाते हैं. यह पेड़ों से आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है. इससे ग्रामीण समाज में वृक्षों को काटने की बजाय संरक्षित करने की भावना जागती है.

Advertisement
पर्यावरण संरक्षण का संदेश

हरियाली तीज के बहाने समाज में वृक्षारोपण, जल-संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा का विचार पनपता है. यह पर्व प्रकृति के साथ सहजीवन (coexistence) का संदेश देता है.              

Advertisement
शिव-पार्वती विवाह का प्रतीक:

इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था. यह स्त्री की श्रद्धा, समर्पण और प्रकृति के प्रति विश्वास का प्रतीक है. पार्वती स्वयं "शक्ति" और "प्रकृति" की प्रतीक हैं.   

व्रत और उपासना

महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं. पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री जैसे बिल्वपत्र, तुलसी, फूल आदि प्रकृति से लिए जाते हैं, जिससे लोगों में प्रकृति के प्रति आदर का भाव पनपता है.

लोकगीत और झूले

झूला झूलने की परंपरा वनों और बागों से जुड़ी है. लोकगीतों में वर्षा, हरियाली, ऋतुओं और प्रेम का वर्णन होता है, जो मनुष्य और प्रकृति के भावनात्मक संबंध को दर्शाता है.

झूला झूलना और प्रकृति के निकट रहना तनाव कम करता है. यह मस्तिष्क में एंडोर्फिन (खुशी के हार्मोन) को बढ़ाता है.तीज पर व्रत रखने से शरीर की पाचन प्रणाली को विश्राम मिलता है, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभकारी है

इसलिए हरियाली तीज केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, यह प्रकृति से जुड़ने, उसे आदर देने, और समाज में पर्यावरण संरक्षण के भाव को जागृत करने वाला पर्व है. धर्म और विज्ञान दोनों दृष्टिकोणों से यह पर्व हमें प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने का संदेश देता है.


 

Featured Video Of The Day
Tejashwi Yadav Remark Controversy: कचरा..तेजस्‍वी के 'सूत्र मूत्र' वाले बयान पर BJP का पलटवार |Bihar
Topics mentioned in this article