Vivah Muhurat 2022: देवउठनी एकादशी पर इस बार नहीं बजेगी शहनाई, नवंबर में कब से शुरू होंगे शादी के मुहूर्त, यहां जानें

Vivah Muhurat 2022: इस साल देवउठनी एकादशी 4 नवंबर को है. देवउठनी एकादशी से विवाह के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं. आइए जानते हैं नवंबर और दिसंबर में शादी के लिए शुभ मुहूर्त कब-कब हैं.

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Vivah Muhurat 2022: देवउठनी एकादशी के बाद शादी-विवाह के लिए ये हैं शुभ मुहूर्त.

Vivah Muhurat 2022 Dates: देवशयनी एकादशी के लेकर देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2022) के बीच भगवान विष्णु (Lord Vishnu) क्षीर सागर में योग निद्रा में रहते हैं. इस दौरान चातुर्मास में शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. इस साल चातुर्मास 10 जुलाई से शुरू हुआ था जिसका समापन देवउठनी एकादशी पर यानी 4 नवंबर को होगा. देवउठनी एकादशी के विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य संपन्न किए जाते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल नवंबर में शादी के लिए शुभ मुहूर्त (Shaadi Dates in November 2022) कब-कब हैं और देवउठनी एकादशी के बाद से ही क्यों होते हैं शुभ और मांगलिक कार्य.

विवाह मुहूर्त 2022 | Vivah Muhurah 2022

इस साल 4 नवंबर देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जगने के बाद विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश समेत सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के मुताबिक इस बार देवउठनी एकादशी के दिन शादी के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है. दरअसल देवशयनी एकादशी पर शुक्र अस्त है. विवाह के लिए ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति भी काफी महत्व रखती है. हालांकि इस बार दिसंबर में शादी के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं.

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नवंबर 2022 में शादी के शुभ मुहूर्त | Marriage Dates in November 2022

  • 21 नवंबर 2022
  • 24 नवंबर 2022
  • 25 नवंबर 2022
  • 27 नवंबर 2022

दिसंबर में शादी के लिए शुभ मुहूर्त | Shadi Dates in December 2022

  • 2 दिसंबर 2022
  • 7 दिसंबर 2022
  • 8 दिसंबर 2022
  • 9 दिसंबर 2022
  • 14 दिसंबर 2022

इसलिए देवउठनी एकादशी के शुरू होते हैं मांगलिक कार्य

देवउठनी एकादशी (DevUthani Ekadashi 2022) को देवप्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता तुलसी और भगवान शालीग्राम के विवाह की परंपरा है. कहा जाता है कि कोई भी मांगलिक कार्य देवी-देवताओं की पूजा का बिना संभव नहीं होता. चातुर्मास में भगवान विष्णु क्षीर सागर में निद्रा में होते हैं. माना जाता है कि इस दौरान नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है. जिसका मांगलिक कार्यों पर भी असर होता है. यही वजह है कि चतुर्मास के दौरान 4 महीनों तक मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवउठनी एकादशी से सभी देवतागण और नवग्रह जाग्रत अवस्था में रहते हैं. तो मांगलिक कार्य प्ररंभ हो जाते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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