Vishwakarma Puja 2024 : 17 सितंबर दिन सोमवार को विश्वकर्मा पूजा है. इस दिन देवताओं के इंजीनियर यानी सृष्टि के निर्माण देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाएगी. वह ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र माने जाते हैं. इस दिन मशीन पर काम करने वाले और मजदूर मशीनों की पूजा और भगवान विश्वकर्मा की आराधना करते हैं. इस बार यह त्योहार मंगलवार को पड़ रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त (Vishwakarma Puja shubh muhurat) कितने से कितने है...
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वास्तुकार-शिल्पकार हैं भगवान विश्वकर्मा
शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकार और शिल्पकार माना गया है. उन्होंने ही इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंका और जगन्नाथ पुरी बनाया था. शास्त्रों में तो यहां तक कहा गया है कि विश्वकर्मा जी ने ही भगवान शिव का त्रिशूल और भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र बनाया है. यही कारण है कि विश्वकर्मा जयंती पर शस्त्रों की पूजा भी की जाती है.
सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस बार विश्वकर्मा पूजा को लेकर बहुत से लोगों में भ्रम है. हर साल सूर्य भाद्रपद मास में सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश कर जाते हैं. इसी समय विश्वकर्मा पूजा की जाती है, लेकिन इस बार सूर्य 16 सितंबर यानी सोमवार की शाम को ही 7:29 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश कर जाएंगे, इसलिए लोग कंफ्यूज हैं कि इसकी सही तिथि और पूजा मुहूर्त कब है.
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त कब है
मंगलवार, 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा रवि योग में है. सुबह 6:07 बजे से रवि योग की शुरुआत होगी, दोपहर 1:53 बजे समापन हो जाएगा. इसी दौरान कारखाने, फैक्ट्री और दुकानों में पूजा होगी. औजार से जुड़ा काम करने वाले मजदूर और कामगार पूजा के बाद इस दिन उन औजारों का इस्तेमाल नहीं करते हैं. फैक्ट्रियों में सभी मशीनों और कलपुर्जों की पूजा होती है. तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा को आराध्य मानते हैं.
कहां-कहां मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा
वैसे तो विश्वकर्मा पूजा पूरे देश में मनाई जाती है लेकिन यूपी-बिहार, बंगाल-झारखंड में इसकी धूम देखने को मिलती है. इस दिन तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के बाद उन्हें प्रसाद चढ़ाते हैं और उसे बांटते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)