Vibhuvana Sankashti Chaturthi: हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह 2 चतुर्थी पड़ती हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. माना जाता है कि भगवान गणेश (Lord Ganesha) भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं. भक्त अपने आराध्य गणपति बप्पा की पूरे मनोभाव से आराधना करते हैं और उनसे कृपादृष्टि बनाए रखने की मनोकामना करते हैं. अगस्त में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी विभुवन संकष्टी चतुर्थी है जो तीन साल बाद पड़ रही है. जानिए विभुवन संकष्टी चतुर्थी की तिथि, महत्व और पूजा विधि.
विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत | Vibhuvana Sankashti Chaturthi Vrat
विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत 4 अगस्त, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन पूजा करने पर मान्यतानुसार भगवान गणेश अति प्रसन्न हो जाते हैं. गणति बप्पा प्रसन्न होकर भक्तों के जीवन को सुख और समृद्धि से भर देते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में राहू और केतु का प्रभाव होता है उन्हें विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखना चाहिए जिससे यह प्रभाव कम हो सके.
संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की पूजा (Ganesh Puja) का शुभ मुहूर्त 4 अगस्त की सुबह 5 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर सुबह 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इसके अतिरिक्त पंचांग के अनुसार, सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 2 बजकर 40 मिनट तक भी पूजा की जा सकती है. इस मुहूर्त को भी अत्यधिक शुभ माना जा रहा है.
मान्यतानुसार विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत में भगवान गणेश के साथ-साथ चंद्रमा के पूजन का विशेष विधान है. व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके बाद बप्पा की पूजा करते हैं. इस दिन बप्पा को गुड़ और काले तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं. इसके साथ ही, पूजा में बप्पा के समक्ष सिंदूर का अर्पण किया जाता है जिससे राहू-केतु (Rahu-Ketu) का प्रभाव कम हो सके.
पूजा में 108 बार ‘ॐ गं गणपतये नमः' का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है. भक्तों के जीवन से कष्ट और कलेश दोनों ही इस मंत्र के उच्चारण से दूर होते हैं. यह दिन घर में गणेश यंत्र की स्थापना करने के लिए भी उपयुक्त है. इससे घर में सकारात्मकता आती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)