Vrat puja niyam : इस दिन आप सुबह स्नान करके लाल रंग की साड़ी धारण करके सोलह सिंगार करें.
Vat Savitri puja niyam : यूं तो पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए हिंदू धर्म में कई व्रत हैं, लेकिन वट सावित्री का व्रत थोड़ा अलग है. इस उपवास में वट वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है. यह पूजा बरगद के पेड़ की परिक्रमा करने के साथ संपन्न होती है. यह पर्व आज भारत में मनाया जाएगा. ऐसे में हम आपको यहां पर इससे जुड़े कुछ जरूरी नियम बताने जा रहे हैं उन महिलाओं के लिए जो विवाह के बाद पहली बार यह उपवास करने वाली हैं, ताकि इस व्रत के पूजा पाठ में उनसे किसी तरह की गलती ना हो.
वट सावित्री व्रत के नियम क्या हैं
- सबस पहले बता दें इस व्रत की पूजन सामग्री. आपको वट सावित्री की पूजा के लिए कच्चा सूत, अक्षत, सिंदूर, सुहाग का सामान, बांस का पंखा, लाल कलावा, धूप, मिट्टी का दीया, घी, बरगद का फल, मौसमी फल, फूल, इत्र, सुपारी, रोली, बताशे, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, दुर्वा घास और मिठाई चााहिए.
- मान्यतानुसार जो महिलाएं पहली बार वट सावित्री (vat Savitri) का व्रत रख रही हैं, उन्हें व्रत और पूजन के दौरान सुहाग की सामग्री मायके से दी गई इस्तेमाल में लानी चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा में मायके की सुहाग सामग्री का इस्तेमाल करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
- इस दिन आप सुबह स्नान करके लाल रंग की साड़ी धारण करके सोलह सिंगार करें. इसके बाद वट बरगद के पेड़ के नीचे सफाई करके गंगाजल छिड़कें. आपको बता दें कि वट वृक्ष की परिक्रमा करते समय 7 बार धागा लपेटे पेड़ में.
- वट व्रत के नियम के मुताबिक इस दिन महिलाओं को काले, सफेद या नीले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. यही नहीं इस दौरान सुहागिन महिलाओं को काली, नीली और सफेद रंग की लहठी या चूड़ियां भी नहीं पहननी चाहिए, ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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