आज वरद चतुर्थी है, जिसे विनायक या विनायकी चतुर्थी भी कहा जाता है. आज के दिन भगवान गौरी गणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है. बता दें कि वर्ष के प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. एकादशी और त्रयोदशी की तरह ही हर महीने में दो बार चतुर्थी तिथि आती है. ये तिथि प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवान को समर्पित होती है. माना जाता है कि चतुर्थी तिथि के दिन विघ्नहर्ता की उपासना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आइए जानते हैं श्री गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
वरद चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त | Auspicious Time For Worship Of Varad Chaturthi
पौष शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 5 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी, जो कि 6 जनवरी की दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी.
पूजन का समय 6 जनवरी को 11 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिवट तक रहेगा.
वरद चतुर्थी पर इस विधि से करें पूजा | Varad Chaturthi Puja vidhi
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें.
नहाने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें.
संभव हो तो इस दिन उपवास रखें.
भगवान गणेश की तांबे या फिर मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करें.
एक कलश में जल भर लें और उसके मुंह को नए से वस्त्र बांध दें.
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
भगवान गणेश का गंगा जल से जलाभिषेक करें.
भगवान गणेश को साफ वस्त्र पहनाएं.
गौरी गणेश को सिंदूर का तिलक लगाएं.
अब बप्पा को हल्दी लगे अक्षत, पीले पुष्प, रोली, धूप, दीप, दूर्वा (दूब) अर्पित करें.
गणपति महाराज को 21 मोदक का भोग लगाकर विधिवत पूजा करें.
गणपति के मंत्रों का जाप करें और व्रत कथा पढ़ें.
भगवान गणेश की आरती करें.
अंत में लडडुओं का प्रसाद ग़रीबों और ब्राह्मणों को बांट दें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)