Vaishakh Month Vrat and Festivals: वैशाख शुक्लपक्ष शुरू, जानें प्रमुख व्रत-त्योहर और विवाह मुहूर्त

Vaishakh Month Vrat and Festivals: वैशाख महीने का शुक्ल पक्ष (Vaishakh Month Shukla Paksha) चल रहा है. वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में कई व्रत-त्योहार पड़ने वाले हैं. इसके अलावा इस पक्ष में विवाह, ग्रह प्रवेश, मुंडन संस्कार और खरीदारी के लिए भी कई शुभ मुहूर्त हैं.

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Vaisakh Month: यहां जानिए वैशाख के महीने में पड़ने वाले सभी व्रत और त्योहार.

Vaishakh Month Vrat and Festivals: हिंदी पंचांग के मुताबिक वैशाख महीने (Vaishakh Month) की शुरुआत हो चुकी है. वैशाख का महीना आने वाली 16 मई तक रहेगा. वैशाख महीने का शुक्ल पक्ष (Vaishakh Month Shukla Paksha) चल रहा है. वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में कई व्रत-त्योहार पड़ने वाले हैं. इसके अलावा इस पक्ष में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार और खरीदारी के लिए भी कई शुभ मुहूर्त हैं. आइए जानते हैं वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले प्रमुख व्रत-त्योहार और इस महीने के विवाह समेत सभी प्रमुख शुभ मुहूर्त. 

वैशाख मास के प्रमुख व्रत-त्योहार (Vrat and Festivals of Vaishakh Month) 

  • 2 मई 2022- चंद्र दर्शन और सोमवार व्रत
  • 3 मई 2022- अक्षय तृतीया, भगवान परशुराम जयंती
  • 4 मई 2022- विनायक चतुर्थी
  • 8 मई 2022- गंगा सप्तमी 
  • 10 मई 2022- सीता नवमी
  • 12 मई 2022- मोहिनी एकादशी
  • 13 मई 2022- प्रदोष व्रत 
  • 14 मई 2022- नृसिंह जयंती
  • 15 मई 2022-  केवट जयंती
  • 16 मई 2022- सोमवती पूर्णिमा, बुद्ध जयंती

वैशाख मास के शुभ मुहूर्त

शादी के लिए- 02, 03, 09, 10, 11, 12 और 15 मई. 

नामकरण के लिए- 03, 04, 05, 08, 12 और 13 मई. 

मुंडन संस्कार- 04, 06, 13 और 14 मई.

खरीदारी के लिए- 06, 07, 10, 11 और 15 मई

विनायक चतुर्थी व्रत विधि (Vinayak Chaturthi Vrat Vidhi)

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक विनायक चतुर्थी व्रत (Vinayak Chaturthi Vrat) के लिए स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने जाते हैं. इसके बाद हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर विनायक चतुर्थी व्रत और पूजा (Vinayak Chaturthi Vrat Puja) का संकल्प लिया जाता है. संकल्प के बाद पूजा मंदिर या पूजा स्थल पर भगवान गणेश (Lord Ganesha) की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित की जाती है. इसके बाद मान्यतानुसार भगवान गणेश की पूजा की शुरू की जाती है. गणेश जी की पूजा में लाल फूल, अक्षत, चंदन दूर्वा, जनेऊ आदि पूजन सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, पूजन के दौरान भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाया जाता है. पूजा के बाद विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ किया जाता है. इसके बाद अंत में गणेशजी की आरती की जाती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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