Utpanna Ekadashi Vrat: एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. मान्यतानुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन ही माता एकादशी का जन्म हुआ था. इसके अतिरिक्त हर एकादशी पर भगवान विष्णु (Lord Shiva) की पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि एकादशी की पूजा करने पर भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और एकादशी की पूजा से अश्वमेघ यज्ञ, तीर्थ यात्रा और कठिन तपस्या करने जितना फल मिलता है. उत्पन्ना एकादशी पर किस शुभ मुहूर्त में और किस तरह पूजा की जा सकती हैं, जानिए यहां.
उत्पन्ना एकादशी का व्रत | Utpanna Ekadashi Vrat
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 8 दिसंबर, शुक्रवार सुबह 5 बजकर 6 मिनट पर हो रही है. एकादशी तिथि का समापन अगले दिन यानी 9 दिसंबर, शनिवार की सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर होगा. उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए एकादशी का व्रत 8 दिसंबर को ही रखा जाएगा.
उत्पन्ना एकादशी की पूजा (Utpanna Ekadashi Puja) का शुभ मुहूर्त 8 दिसंबर सुबह 7:01 बजे से सुबह 10:54 बजे तक है. इस मुहूर्त में पूजा की जा सकती है.
उत्पन्ना एकादशी की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करने शुभ माने जाते हैं. इस दिन पीले वस्त्र पहनने का खास महत्व होता है. इसके पश्चात पूजा की जाती है. पूजा में भगवान विष्णु के समक्ष पीले फल, तुलसी दल, पीले फूल और पंचामृच अर्पित किया जाता है. मार्गीशीर्ष माह में श्रीकृष्ण (Shri Krishna) की विशेष पूजा-आराधना की जाती है इसीलिए एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार का पूजन करना बेहद शुभ होता है. एकादशी की पूजा में "ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणम गता" गोपाल मंत्र का जाप करना भी शुभ होता है. आरती करने और भोग लगाने के बाद पूजा संपन्न होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)