मंगलवार के दिन इस विधि से पूरी करें बजरंगबली की पूजा, मान्यतानुसार दूर होंगे सभी संकट

Tuesday Puja: हिंदू धर्म में बजरंगबली की पूजा के लिए मंगलवार का दिन शुभ माना जाता है. यहां जानिए इस दिन कैसे हनुमान जी की पूजा की जा सकती है. 

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Bajrangbali Puja Vidhi: इस तरह बजरंगबली को किया जा सकता है प्रसन्न. 

Tuesday Puja Vidhi: हिंदू धर्म में हर दिन को किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है. सोमवार के दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है तो वहीं मंगलवार का दिन को बजरंगबली (Bajrangbali) के लिए चुना गया है. माना जाता है कि मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूरे मनोभाव से पूजा की जाए तो जीवन में खुशहाली आती है और संकट दूर हो जाते हैं. वहीं, मंगलवार के दिन पूजा करने पर कुंडली में मंगल की स्थिति मजबूत हो जाती है. ऐसे में जानिए किस तरह मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा संपन्न की जा सकती है. 

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मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा 

मंगलवार के दिन सुबह सवेरे जल्दी उठकर स्नान पश्चात बजरंगबली का स्मरण किया जाता है और व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन व्यक्ति को अपने मन और मस्तिष्क को शुद्ध रखना होता है. हाथ में जल भरकर शुभ मंत्रों का जाप किया जाता है. मंगलवार के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना बेहद शुभ माना जाता है. बजरंगबली की पूजा (Bajrangbali Puja) शाम के समय की जाती है. 

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पूजा करने के लिए हनुमान मंदिर जाते हैं. मंदिर में जाकर हनुमान जी (Hanuman Ji) को सिंदूर से तिलक लगाया जाता है. बजरंगबली के समक्ष दीपक जलाते हैं और चने व गुड़ के अलावा बूंदी को भोग में लगाते हैं. सभी भक्तों को पूजा के बाद बूंदी बांटी जाती है. बजरंगबली के साथ ही इस दिन महादेव का पूजन भी किया जाता है. बजरंगबली की आरती और हनुमान चालीसा का पाठ करके पूजा का समापन होता है. 

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व्रत में क्या खाएं 

व्रत रखने वाले व्यक्ति को व्रत के खानपान में केवल शाकाहारी चीजों का ही सेवन करना होता है. इस दिन चने की दाल, गुड़ और जौ का सेवन करना बेहद अच्छा माना जाता है. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी भी तरह के तामसिक भोजन का सेवन ना किया जाए. 

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बजरंबली की आरती 

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

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दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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