Tripindi shradha : आज यानी 11 जून को त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए सबसे उचित है पंचांग के अनुसार. आज ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी है. यह तिथि स्वाति नक्षत्र में पड़ रही है. इस लिहाज से ये त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए उत्तम है. आपको बता दें यह श्राद्ध घर में सुख शांति और झगड़े को कम करने के लिए कराई जाती है. इसमें त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा की जाती है. इनकी पूजा करने से मृत आत्मा की दुख तकलीफ दूर होती है.
त्रिपिंडी श्राद्ध विधी | Tripindi sharadh vidhi
- यह श्राद्ध तब किया जाता है जब किसी की बहुत कम उम्र में मृत्यु हो जाती है उन आत्माओं को मुक्ति दिलाने के लिए की जाती है. वहीं यह श्राद्ध उन लोगों को भी कराना चाहिए जिनकी कुंडली में पितृ दोष है. इससे पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- इस श्राद्ध को अविवाहित और विवाहित दोनों लोग कर सकते हैं, लेकिन अकेली स्त्री इस श्राद्ध को नहीं करा सकती है. यह अनुष्ठान तीन पीढ़ियों के पहले के पूर्वजों को शांत करती हैं. ऐसे में हर बारह वर्ष में इस संस्कार को जरूर कराना चाहिए.
- यह त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा जीवन में हानिकारक प्रभावों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है. इसके करने से जीवन में सुख शांति और संतान के कष्ट दूर होते हैं.
- अगर आप इसे किसी पवित्र स्थान पर करते हैं तो इसका लाभ दोगुना हो जाता है. इस पूजा को करने से परिवार में सुख शांति बनी रहती है. इससे व्यक्ति को अपार सफलता मिलती है. इससे व्यावसायिक जीवन से लेकर, वैवाहिक जीवन सुख में बीतता है.
श्राद्ध की सामग्री
तीन देवताओं की सोना, चांदी तथा ताम्र से निर्मित मूर्ति, पिंडदान के लिए काला तिल, जौ, और चावल के बने पिंड, ताम्र धातु से बने 3 कलश, गंगाजल, गाय का दूध, आसन, अगरबत्ती, कलेवा, जनेऊ, रुद्राक्ष माला, फूल, खीर, देसी घी, पंच रत्न, मिठाई, पंचमेवा, रुई बत्ती, माचिस, कपूर, अगरबत्ती, घंटा, शंख, हवन, पान के पत्ते, सुपारी, चावल, गेहूं, हल्दी, सिंदूर, गुलाल,नारियल, लोटा, हल्दी पाउडर, कुमकुम, रोली, लौंग, उपला, मूंग, उड़द, शहद, चीनी, गुड़, इलायची, केला, तुलसी का पत्ता, आदि जरूर रख लें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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