Surya Shashti Vrat 2021: जानिये सूर्य षष्ठी व्रत का महत्व व इसके पीछे की कथा

सूर्य षष्ठी के दिन अस्ताचल भगवान भास्कर की पूजा की जाती है और कार्तिक शुक्ल की सप्तमी को उदीयमान प्रत्यक्ष देव भगवान आदित्य को अर्घ्य देकर पूजा आराधना की जाती है. मान्यता है कि जो महिलाएं इस व्रत को पूरे मन से करती हैं, उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.

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Surya Shashti Vrat 2021: जानिये सूर्य षष्ठी व्रत का महत्व व पूजा विधि
नई दिल्ली:

कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को देश भर में हर साल गंगा-यमुना के तट वासी महापर्व सूर्य षष्ठी को पूरे धूमधाम से मनाते हैं. सूर्य षष्ठी के दिन अस्ताचल भगवान भास्कर की पूजा की जाती है और कार्तिक शुक्ल की सप्तमी को उदीयमान प्रत्यक्ष देव भगवान आदित्य को अर्घ्य देकर पूजा आराधना की जाती है. मान्यता है कि जो महिलाएं इस व्रत को विधि-विधान से पूरा करती हैं, वो धन-धन्य, पति पुत्र और सुख से संपन्न रहती है. इस व्रत को करने के काफी कठोर नियम है और इसे तीन दिन तक किया जाता है, जो महिलाएं ये व्रत करती है वो पंचमी को बिना नमक का खाना खाती हैं. दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और षष्ठी के दिन अस्त होते ही सूर्य देव की विधि-विधान से पूजा की जाती है. व्रत के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है. स्नान के बाद जल पर खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. इसके बाद महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं.

सूर्य षष्ठी के पीछे की आस्था

विन्दुसार तीर्थ में एक व्यक्ति रहता था, जिसका नाम महिपाल था. महिपाल धर्म-कर्म पर भरोसा नहीं करता था और पूजा का विरोधी था. महीपाल ने एक बार जानबूझकर भगवान सूर्य की प्रतिमा के सामने ही मल-मूत्र का त्याग कर दिया, जिसकी वजह से उसकी आंखों की रोशनी चली गई और वो अंधा हो गया. ऐसा होने के बाद वो अपनी ज़िंदगी से निराश होकर गंगा जी में डूबकर मरने के लिए चल दिया. रास्ते में उसकी मुलाकात महर्षि नारद से हुई. नारद जी ने महिपाल को रोककर पूछा कि इतनी जल्दी में कहां जा रहे हैं? महीपाल रोते हुए बोला कि मेरी जिंदगी दूभर हो गई है, इसलिए गंगा जी में कूदने जा रहा हूं. नारद बोले कि मूर्ख इंसान तुम्हारी ये दशा भगवान सूर्यदेव का अपमान करने की वजह से हुई है. अगर तुम ठीक होना चाहते हो तो कार्तिक महीने की सूर्यषष्ठी का पूरे विधि-विधान से व्रत करो. इस व्रत के असर से तुम्हारे सभी दुख और कष्ट दूर हो जाएगें. महिपाल ने नारद जी के बात मानी और ये व्रत रखा. इस व्रत के प्रभाव से वो सुखी हुआ और उसके दुखों का अंत हो गया.

Surya Shashti Vrat 2021: जानिये इस व्रत की कथा का महत्व व पूजा विधि 

सूर्य षष्ठी व्रत के पूजा की विधि

इस व्रत को रखने के एक दिन पहले सामान्य भोजन करना होता है. इसके बाद सूर्य षष्ठी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठ कर नहा धोकर सूर्य देव को जल समर्पित किया जाता है. सूर्य को जल देने के साथ ही आपका व्रत शुरू हो जाता है. भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही धूप, दीप, लाल फूल, कपूर आदि से उनका पूजन किया जाता है. इसके साथ पुराणों में कहा गया है कि व्रत वाले दिन स्नान करने के बाद 7 तरह के फलों, चावल, तेल, चंदन और दूर्वा को पानी में मिलाकर उगते हुए भगवान सूर्य को जल दिया जाता है. इस दिन सूर्य भगवान के मंत्रों का 108 बार जाप करना जरूरी होता है.

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