जीवन के संकटों का चाहते हैं समाधान तो करें सूर्य देव का ध्यान, जानिए कैसे करनी चाहिए सूर्य देव की पूजा

Surya Dev Puja: सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना गया है और उनकी कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है. सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए हर दिन सुबह स्नान के बाद उन्हें अर्घ्य देना शुभ मानते हैं.

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जानिए किस तरह सूर्य देव को किया जा सकता है प्रसन्न.

Surya Dev Puja: हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव (Surya Dev) की पूजा के लिए समर्पित है. मान्यता है कि रविवार का व्रत रखकर सूर्यदेव की पूजा करने से जीवन की सभी तरह की परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना गया है और उनकी कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है. सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए हर दिन सुबह स्नान के बाद उन्हें अर्घ्य देना चाहिए. आइए जानते हैं सूर्य देव की कैसे करनी चाहिए पूजा और उन्हें प्रसन्न करने वाली आरती. 

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सूर्य देव की पूजा विधि | Surya Dev Puja Vidhi

सूर्य देव की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले स्नान करें और उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें जल अर्पित करें. तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल रोली, लाल फूल डालकर जल अर्पित करें और ॐ घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें. जल चढ़ाते समय लोटे से गिरती जल की धारा को देखें और इसके बाद हाथ जोड़कर सूर्य देव को प्रणाम करें.

सूर्य देव की पूजा से लाभ

सूर्योदय के समय सूर्य देव का दर्शन करने से तन और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसीलिए इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए. यह उपाय कारोबार और करियर में सफलता (Success) प्राप्त करने में सहायता करता है.

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सूर्य देव की आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत हैं सबही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलावे उजियारा तब जागे जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। देवे नव जीवन।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता,  महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन देते बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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