Som Pradosh Vrat 2022: सोम प्रदोष व्रत से प्राप्त होती है शिवजी की विशेष कृपा, इस दिन जरूर करें ये 5 काम

Som Pradosh Vrat 2022: हर महीने का प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए खास होता है. मार्गशीर्ष माह का सोम प्रदोष व्रत 5 दिसंबर 2022 को पड़ने वाला है. इस दिन कुछ खास कार्य करने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है.

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Som Pradosh Vrat 2022: सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है.

Som Pradosh Vrat 2022: हर महीने की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन शिवजी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 05 दिसंबर को पड़ रही है. 5 दिसंबर को सोमवार है. ऐसे में इस दिन सोम प्रदोष व्रत का खास संयोग बन रहा है. ज्योतिष और धर्म शास्त्र के जानकार शिव जी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखने की सलाह देते हैं. धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत भगवान शिव को बेहद प्रिय है. ऐसे में जानते हैं कि मार्गशीर्ष माह का सोम प्रदोष कब रखा जाएगा और व्रत पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या है. इसके साथ ही यह भी जानते हैं कि शिव जी की विशेष कृपा पाने के लिए सोम प्रदोष व्रत पर कौन से 5 कार्य जरूरी माने गए है. आइए जानते हैं सोम प्रदोष पर किए जाने वाले खास उपाय के बारे में.

कब है मार्गशीर्ष माह का सोम प्रदोष व्रत | Som pradosh Vrat 2022 Date, Shubh Muhurat

दृक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 05 दिसंबर को पड़ रही है. इस दिन सुबह 5 बजकर 57 मिनट से त्रयोदशी तिथि की शुरुआत हो रही है. वहीं त्रयोदशी तिथि का समापन 06 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर होगा. धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करना शुभ होता है. कहा जाता है कि इस समय भोलेनाथ कैलाश पर आनंद मुद्रा में रहते हैं. 05 दिसंबर को प्रदोष काल की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक है. 

सोम प्रदोष पूजन-विधि | Som pradosh Puja Vidhi

- सोम प्रदोष के दिन गोधूलिकाल (सूर्योदय एवं सूर्यास्त से ठीक पहले) का समय बहुत शुभ माना जाता है. 

- प्रदोष व्रत में भगवान शिव का पूजन हमेशा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है।

- सोम प्रदोष व्रत के दिन हल्के लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करना शुभ रहता है.

- सोम प्रदोष व्रत पर पूजा स्थल के समीप देवी पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिक और नंदी के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है.

- इसके बाद शिवलिंग पर दूध, दही और घी आदि से अभिषेक किया जाता है और फिर शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाते हैं.

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- धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन बिल्वपत्र चढ़ाने से बहुत ही शुभ फल प्राप्त होता है.

- सोम प्रदोष व्रत पर शिवलिंग का अभिषेक करते समय 'ॐ सर्वसिद्धि प्रदाये नमः' मन्त्र का 108 बार जाप करें.

- इसके बाद भक्त को प्रदोष व्रत कथा पढ़नी या सुननी चाहिए और साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए.

- व्रत कथा के बाद पूजा करके व्रत का पारण किया जाता है.

- प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय आटे का पांच मुखी घी का दीपक जलाएं. साथ ही इस मंत्र का जाप करें- 

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा, श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं  
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व, जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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