Som Pradosh Vrat: आज रखा जाएगा सोम प्रदोष व्रत, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि 

Som Pradosh Vrat: वैशाख मास में इस दिन पड़ रहा है सोम प्रदोष व्रत. जानिए किस तरह किया जाता है इस दिन भगवान शंकर का पूजन. 

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Som Pradosh Vrat Puja: प्रदोष व्रत में भोलेनाथ की पूजा की जाती है. 

Som Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. कहा जाता है कि जो भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं उनपर भगवान भोलेनाथ विशेष कृपा बरसाते हैं और हर मनोकामना की पूर्ति करते हैं. भगवान शंकर (Lord Shiva) के साथ ही प्रदोष व्रत में माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है. प्रदोष व्रत यूं तो कई पड़ते हैं लेकिन सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के आधार पर हर दिन को किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित किया जाता है. ऐसे में सोमवार का दिन भोलेनाथ का दिन कहा जाता है और इस दिन प्रदोष व्रत पड़ना अत्यधिक शुभ होता है. जानिए वैशाख मास में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और कैसे करें पूजा. 

सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त | Som Pradosh Vrat Shubh Muhurt

वैशाख में 17 अप्रैल के दिन सोम प्रदोष व्रत रखा जाने वाला है. वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदिशी तिथि पर यह दिन पड़ रहा है. 17 अप्रैल के दिन दोपहर 3 बजकर 46 मिनट से सोम प्रदोष व्रत की शुरूआत होगी और इसका समापन अगले दिन 18 अप्रैल दोपहर 1 बजकर 27 मिनट पर होगा. इस चलते सोम प्रदोष व्रत 17 अप्रैल, सोमवार के दिन ही रखा जाएगा. वहीं, पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो 6 बजकर 48 मिनट से रात 9 बजकर 1 मिनट तक पूजा की जा सकेगी. इस मुहूर्त में पूजा करना बेहद शुभ साबित हो सकता है. 

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि 

विधि-विधान से सोम प्रदोष व्रत की पूजा की जाती है. भक्तों का प्रयास रहता है कि वे भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकें जिससे उन्हें भोलेनाथ की विशेष कृपा व आशीर्वाद प्राप्त हो सके. सोम प्रदोष व्रत की पूजा (Som Pradosh Vrat Puja) के लिए सुबह-सवेरे उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद भोलेनाथ पर गंगाजल छिड़का जाता है अथवा गंगाजल से भोलेनाथ का अभिषेक होता है. प्रदोष व्रत की असल पूजा शाम के समय ही होती है.

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शाम को सोम प्रदोष व्रत की पूजा के समय गंध, पुष्प, दीप और भोग भोलेनाथ और माता पार्वती (Mata Parvati) के समक्ष अर्पित किया जाता है. माना जाता है कि जिन जातकों को वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां आ रही हों या संतान प्राप्ति में मुश्किलें झेलनी पड़ रही हों उन्हें खासतौर से यह व्रत रखना चाहिए. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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