Skand Sashti 2024: स्कंद षष्ठी की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. इस दिन भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikeya) की परे विधि-विधान से पूजा की जाती है. माना जाता है कि स्कंद षष्ठी पर पूजा करने पर घर में सौभाग्य आता है और खुशहाली के द्वार खुल जाते हैं. इस दिन सूर्यदेव की उपासना करना भी बेहद शुभ माना जाता है. स्कंद षष्ठी पर व्रत करने से मान्यतानुसार रोगों से मुक्ति मिलती है और कष्टों का निवारण हो जाता है. संतान प्राप्ति के लिए, शत्रुओं को पराजित करने के लिए और संतान की लंबी आयु के लिए भी स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है. आज 9 सितंबर, सोमवार के दिन भक्त स्कंद षष्ठी का व्रत रख रहे हैं. जानिए इस दिन किस तरह पूजा संपन्न की जा सकती है.
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स्कंद षष्ठी की पूजा विधि | Skand Sashti Puja Vidhi
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरूआत 8 सितंबर की रात 7 बजकर 58 मिनट पर हो रही है और इस तिथि का समापन 9 सितंबर की रात 9 बजकर 53 मिनट पर हो जाएगा. इस चलते उदयातिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत 9 सितंबर के दिन ही रखा जा रहा है.
स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने के लिए मान्यतानुसार सुबह उठकर स्नान किया जाता है और स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. षष्ठी पूजा के लिए एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है. अब भगवान के समक्ष दीपक जलाते हैं और अगरबत्ती या धूप जलाई जाती है. इसके बाद भगवान को फल और फूल चढ़ाए जाते हैं. माना जाता है कि भगवान कार्तिकेय के समक्ष कमल के फूल अर्पित करना बेहद शुभ होता है. भगवान का तिलक किया जाता है, आरती गाई जाती है, भोग लगाया जाता है, सभी में भोग का वितरण होता है और पूजा संपन्न की जाती है.
मान्यतानुसार स्कंद षष्ठी के दिन कुछ चीजों का दान (Daan) करना बेहद शुभ होता है. इस दिन फल, दही, दूध, अनाज, वस्त्र और धन का दान किया जा सकता है.
स्कंद षष्ठी के व्रत का पारण व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद करना सबसे उत्तम माना जाता है. व्रत पारण के बिना स्कंद षष्ठी की पूजा को संपन्न नहीं मानते हैं. कहा जाता है कि व्रत पारण से पहले स्नान करना चाहिए और इसके बाद ही व्रत खोलना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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