Santosh mata arti : शुक्रवार का दिन होता है देवी संतोषी का, इस दिन जरूर करें उनकी आरती 

पूरी श्रद्धा और नियम से संतोषी माता की पूजा, आरती और पाठ करते हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इससे घर परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं पूजा विधि और संतोषी माता की आरती.

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इस दिन खट्टे पदार्थ का सेवन न करें, अन्यथा आपका व्रत खंडित हो जाता है. 

Shukrvar puja tips : हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. शुक्रवार का दिन संतोषी माता की पूजा-अर्चना के लिए है. इन्हें धैर्य,सरलता और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है इस दिन जातक अगर पूरी श्रद्धा और नियम से देवी मां की पूजा, आरती और पाठ करते हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इससे घर परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं पूजा विधि और संतोषी माता की आरती.

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कैसे करें संतोषी माता की पूजा

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके आप साफ कपड़े धारण करें.
  • फिर पूजा स्थल की साफ सफाई करें.
  • अब आप चौकी रखें और उसपर लाल वस्त्र बिछाएं.
  • अब आप उन्हें गुड़ और चना प्रसाद के रूप में चढ़ाएं. 
  • अब आप संतोषी माता की कथा पढ़ें फिर सभी को प्रसाद वितरित कर दीजिए.
  • इस दिन खट्टे पदार्थ का सेवन न करें, अन्यथा आपका व्रत खंडित हो सकता है. 
  • इस दिन आपको फलाहार पर रहना चाहिए.  

संतोषी माता आरती

॥ जय सन्तोषी माता ॥

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की, सुख सम्पत्ति दाता॥ 

सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो॥ 

गेरू लाल छटा छबि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी, त्रिभुवन जन मोहे॥ 

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे॥ 

गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥ 

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई, कथा सुनत मोही॥ 

मंदिर जग मग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम सेवक, चरणन सिर नाई॥ 

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छित फल दीजै॥ 

दुखी दारिद्री रोगी, संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए॥ 

ध्यान धरे जो तेरा, वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो॥ 

चरण गहे की लज्जा, रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥ 

संतोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पत्ति, जी भर के पावे॥ 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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