भगवान श्री राम की इन स्तुतियों से जीवन की हर मुश्किल होगी दूर! जानें पाठ विधि, लाभ और अर्थ

आइए इस लेख में हम आपको कुछ राम स्तुतियों के बारे में बताते हैं, जो आपके जीवन को बदल सकती हैं..

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श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन, हरण भवभय दारुणं । नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

Shri ram stuti 2025 : भगवान राम की स्तुति पाठ (bhagwan ram stuti patha) का विशेष महत्व होता है. क्योंकि यह उनके गुणों, आदर्शों को दर्शाता है. इनकी स्तुति मानसिक शांति, आस्था और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है. इससे आपका जीवन संतुलित और शांतिपूर्ण होता है. ऐसे में आइए इस लेख में हम आपको कुछ राम स्तुतियों के बारे में बताते हैं, जिनका पाठ करने से आपका जीवन बदल सकता है, तो चलिए बिना देर किए जानते हैं...

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श्री राम स्तुति और उसके अर्थ - Shri Ram Stuti and its meaning

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन, हरण भवभय दारुणं । नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

अर्थ - हे मन! कृपा निधान श्रीरामचंद्र जी का भजन कर, जो आपके संसार संबंधी सभी डरों को खत्म कर देगा. उनकी आंख,मुख, हाथ और चरण नव खिले कमलों की ही तरह सुंदर और ललिमा लिए हुए हैं.

कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुन्दरं । पटपीत मानहुं तडित रुचि शुचि,नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

अर्थ -  जो जनक पुत्री सीता के पति हैं, अनगनित कामदेवों की छवि को मात देने वाले हैं, जिनके सुंदर शरीर नीले आकाश की तरह है और पीतांबर वस्त्र बिजली की तरह चमकते हैं, ऐसे श्रीराम को प्रणाम करता हूं!

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव, दैत्य वंश निकन्दनं । रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल,चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

अर्थ - श्रीराम सूर्य की तरह तेजस्वी और दानवों और दैत्यों के कुल का नाश करने वाले हैं. वे रघुकुल के आनंद मूल हैं, अयोध्या के लिए चंद्रमा के सामान हैं और दशरथ जी के पुत्र भी हैं.

शिर मुकुट कुंडल तिलक, चारु उदारु अङ्ग विभूषणं । आजानु भुज सर चाप धर,संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

अर्थ - उनके सिर पर मुकुट है, कानों में कुंडल और तिलक है. उनके अंगो पर दिव्य आभूषण शोभा देते हैं. उनकी भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं. वे श्रेष्ठ युद्धा हैं और उनके हाथों में धनुष बाण सुशोभित होता है.

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इति वदति तुलसीदास शंकर,शेष मुनि मन रंजनं । मम् हृदय कंज निवास कुरु, कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

अर्थ - हे प्रभु! जैसे आप शिवजी, शेषनाग और ऋषियों को खुश करते हैं ठीक वैसे ही मेरे मन को भी शांति दें. मेरे हर्दय में सदैव निवास करें और काम, क्रोध और मोह जैसे विकारों से छुटकारा दिलाएं.

मन जाहि राच्यो मिलहि सो, वर सहज सुन्दर सांवरो ।, करुणा निधान सुजान शील, स्नेह जानत रावरो ॥६॥

अर्थ - जिसमें तुम्हारा मन रमा हुआ है, वही स्वभाव से सुंदर सांवला वर (श्रीराम) तुम्हें मिलेगा। वह दया का खजाना, सर्वज्ञ और तुम्हारे शील और स्नेह को जानने वाला है.

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एहि भांति गौरी असीस सुन सिय, सहित हिय हरषित अली।, तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि, मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

अर्थ - माता गौरी ने मां सीता को उत्तम पति, मंगलमय जीवन और सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया था. इस आशीर्वाद को पाकर सीता जी काफी प्रसन्न हुई थी. वे श्रद्धा और प्रेम से मां सीता की बार-बार पूजा करती हैं और फिर खुशी से अपने स्थान को लौट जाती हैं.

भगवान श्री राम स्तुति विधि

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं
  • इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • अब आप लाल या पीला आसन बिछाएं. 
  • पाठ करने से पहले श्रीराम की पूजा अर्चना करें.
  • इसके लिए धूप, अगरबत्ती, दीपक, चंदन, फल और फूल रखें.
  • अब आप सभी स्तुतियों का 5 या 11 बार पाठ करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


 

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