Shitla Sashti 2022: कब है शीतला षष्ठी व्रत, जानिए पूजा की विधि और महत्व

हर साल की माघ (Magh) शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को शीतला षष्ठी के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों के मुताबिक, शीतला षष्ठी (Shitla Sashti) के दिन व्रत रखने से संतान की खुशहाली और अनंत सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन माता शीतला की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है. आइए जानते हैं शीतला षष्ठी व्रत की पूजा विधि और महत्व.

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Shitla Sashti 2022: संतान सुख के लिए किया जाता है शीतला षष्टी का व्रत
नई दिल्ली:

माघ माह में शुक्ल शुक्ल पक्ष की षष्ठी (छठी) तिथि को शीतला षष्ठी व्रत किया जाता है. शास्त्रों के मुताबिक, शीतला षष्ठी (Shitla Sashti) के दिन व्रत रखने से संतान की खुशहाली और अनंत सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन माता शीतला (Shitlamsmsts) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से मन को शीतलता प्राप्त होती है.

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शीतला षष्ठी के दिन माता को ठंडा या बासे भोजन का भोग लगाया जाता है और इस दि न बासा भोजन ही ग्रहण किया जाता है. बता दें कि पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाली स्त्रियों के लिए यह व्रत बहुत शुभ माना गया है. आइए जानते हैं शीतला षष्ठी व्रत की पूजा विधि और महत्व.

शीतला षष्ठी व्रत का महत्व

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, शीतला षष्ठी व्रत को करने से दैहिक और दैविक ताप से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि यह व्रत पुत्र प्रदान करने वाला और सौभाग्य प्रदान करने वाला है. माना जाता है कि शीतला षष्ठी का व्रत करने से भी कई रोगों से मुक्ति मिलती है, आगे जानिए शीतला षष्ठी व्रत की विधि.


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शीतला षष्ठी पूजा विधि |  Shitla Sashti Puja Vidhi

शीतला षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें.

चौकी में सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं और उसमें शीतला माता की प्रतिमा या फिर चित्र स्थापित करें.

अब इस मंत्र 'श्रीं शीतलायै नमः, इहागच्छ इह तिष्ठ' को बोलते हुए जल अर्पित करें.

हाथ में वस्त्र अथवा मौली लेकर आसन के रूप में माता को अर्पित करें.

माता को चंदन और अक्षत का तिलक लगाने के बाद फूलों की माला अर्पित करें.

इसके बाद शीतला माता को धूप-दीप दिखाएं.

भोग में जो बासी कल रात का बनाया हो, उस भोजन का भोग अर्पित करें.

इसके बाद शीतला षष्ठी व्रत की कथा सुनें.

आखिर में आरती करें.

बासे भोजन से लगाया जाता है भोग

शीतला षष्ठी के दिन बासा खाना खाने का रिवाज है. शास्त्रों के मुताबिक, शीतला का अर्थ होता है ठंडा. इस दिन माता शीतला की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है. इस दिन देवी मां को मीठे चावल, हलवा, पूड़ी, पुए और दही के बने पकवान चढ़ाने का चलन है. बता दें कि शीतला षष्ठी से एक दिन पहले पकवान बनाए जाते हैं और अगले दिन सुबह जल्दी उठकर माता शीतला को इसका भोग लगाया जाता है. इसके अलावा इस दिन परिवार को भी पूजा के बाद वहीं बासे भोजन को खाना चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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