Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी पर क्यों खाया जाता है बासी खाना? जानिए वजह

Sheetala Ashtami Kab Hai: शीतला अष्टमी हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रद्धा और आस्था के साथ मां शीतला की पूजा करने से संतान को उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है.

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Sheetala mata 2025 : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां शीतला की पूजा करने से सभी तरह के रोग-दोष से मुक्ति मिलती है.

Sheetala Ashtami Festival 2025: शीतला अष्टमी जिसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है. ये हर साल चैत्र मास के (Sheetala Ashtami Traditions And Rituals) कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. जो होली के आठ दिन बाद आती है. आमतौर पर यह पर्व मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में शीतला अष्टमी का व्रत (Sheetala Ashtami Fasting Rules) शनिवार, 22 मार्च को रखा जाएगा. यह तिथि मां शीतला की पूजा के लिए समर्पित मानी जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां शीतला की पूजा (Sheetala Ashtami 2025 Date) करने से सभी तरह के रोग-दोष से मुक्ति मिलती है.

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मां शीतला को बासी खाने का भोग (Why eat stale Food on Sheetala Ashtami)

  • धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, शीतला अष्टमी पर बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है, जिसे बसौड़ा या बसियौरा भी कहा जाता है.
  • यह दिन ठंड के खत्म होने का प्रतीक माना जाता है.
  • मान्यता है कि इस दिन मां शीतला को बासी भोजन का भोग अर्पित करने से रोगों से बचाव होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है.
  • साथ ही, भक्तों को भी बासी भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए.
  • व्रत से एक दिन पहले शुद्धता का ध्यान रखते हुए भोजन तैयार करें और शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला को यह भोजन अर्पित करें.
  • इसके बाद खुद भी प्रसाद रूप में इसे ग्रहण करें. ऐसा करने से मां शीतला प्रसन्न होती हैं.
  • भक्तों को निरोग रहने का आशीर्वाद देती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

वैज्ञानिक महत्व– बासी भोजन स्वाभाविक रूप से ठंडा होता है, जो गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक देता है. शीतला माता को बासी भोजन अर्पित करने की परंपरा यह संदेश देती है कि हमें इस दिन शीतलता और संतुलन बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए.

धार्मिक महत्व– बासी भोजन चढ़ाने का उद्देश्य सादगी को महत्व देना है. इस परंपरा के माध्यम से यह सीख मिलती है कि हमें आडंबर की बजाय संतोष और सरलता को अपनाना चाहिए. भौतिक सुख-साधनों के पीछे भागने की बजाय आध्यात्मिक शांति और ईश्वर में श्रद्धा रखनी चाहिए.

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शीतला अष्टमी 2025: शुभ मुहूर्त (Sheetala Ashtami Shubh Muhurat)

  • हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 मार्च 2025 को सुबह 04:23 बजे होगी और इसका समापन 23 मार्च 2025 को सुबह 05:23 बजे होगा.
  • उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष शीतला अष्टमी का व्रत शनिवार, 22 मार्च 2025 को रखा जाएगा. व्रत का पारण अगले दिन, 23 मार्च की सुबह पूजा-पाठ के बाद किया जाएगा.

शीतला अष्टमी 2025: पूजा विधि (Sheetala Ashtami Puja Vidhi)

  • शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें.
  • पूजा की थाली में मीठे चावल, हलवा, दीपक, रोली, अक्षत, वस्त्र, बड़कुले की माला, सिक्के और हल्दी आदि रखें.
  • इसके बाद शीतला माता को व्रत की सामग्री अर्पित करें, शीतला अष्टमी की कथा का पाठ करें और आरती कर पूजा संपन्न करें.

शीतला अष्टमी पर बरतें ये विशेष सावधानियां

  • शीतला माता की कृपा से भक्तों को स्वस्थ और निरोगी जीवन का आशीर्वाद मिलता है.
  • शीतला अष्टमी या बसोड़ा पर्व एकमात्र ऐसा व्रत है जिसमें एक दिन पूर्व पकाए गए खाने को माता शीतला को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है.
  • इस विशेष परंपरा के साथ, व्रत को पूर्णत: फलदायी बनाने के लिए कुछ जरूरी सावधानियों का पालन करना चाहिए.
  • इन नियमों का ध्यान रखते हुए, आप व्रत-पूजन के श्रेष्ठ लाभ पा सकते हैं.

क्या सावधानी बरतें?

  • इस दिन घर में ताजा भोजन नहीं बनाना चाहिए, बल्कि एक दिन पहले ही भोजन तैयार कर लेना चाहिए.
  • प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, अगर घर में कोई व्यक्ति चेचक से ग्रसित हो, तो उस परिवार के किसी भी सदस्य को शीतला अष्टमी का व्रत नहीं करना चाहिए.
  • इस दिन गर्म भोजन का सेवन न करें. केवल ठंडी और शीतल वस्तुओं का ही सेवन करें, क्योंकि माता शीतला को शीतल सामान अधिक प्रिय हैं.
  • व्रत धारण करने वाले भक्तों को इस नियम का पालन जरूर करना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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