आज है नवरात्रि का चौथा दिन, यहां जानें मां कूष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग

Navratri 2024 : मां के इस स्वरूप को आदिशक्ति, ताकतवर और ज्ञान के पर्याय का भी प्रतीक माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं देवी कूष्मांडा का पूजा मंत्र, भोग, आरती और विधि. 

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Devi Durga mantra : देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Maa Kushmanda puja Vidhi 2024 : आज नवरात्रि का चौथा दिन है. यानी देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाएगी. मान्यता है कि देवी दुर्गा (4th roop of devi durga) का यह स्वरूप रोग दोष से मुक्ति दिलाता है. यह भी माना जाता है कि मां कूष्मांडा ने ही सृष्टि को आकार दिया था. मां का यह स्वरूप हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल फूल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा धारण किए हुए है. देवी कूष्मांडा को आदिशक्ति, ताकतवर और ज्ञान के पर्याय का भी प्रतीक माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं मां के इस स्वरूप का पूजा मंत्र, आरती, विधि और भोग. 

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मां कूष्मांडा पूजा मंत्र

1- वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

2- या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें. इससे जीवन और परिवार में सुख शांति बनी रहेगी.

मां कूष्मांडा पूजा विधि

- मां कूष्मांडा की पूजा के लिए सूर्योदय से पहले उठ जाएं. 
- ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर लीजिए.इसके बाद हरे रंग का वस्त्र धारण कर लें.
- फिर आप कलश की पूजा करके उसका तिलक करें.
- इसके बाद आप कूष्मांडा देवी का ध्यान करते हुए मंत्र का जाप करें. 
- फिर आप मां को फल, फूल और मेवा अर्पित करें. 
- अंत में आप मां कूष्मांडा की आरती करें. 

मां कूष्मांडा को क्या भोग लगाएं

आप मां को पेठे, दही और हलवे का भोग लगा सकते हैं.

कूष्मांडा माता की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुंचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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