पिछले महीने 18 मार्च को शनि देव उदय हुए हैं और फिलहाल कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं, जिसके कारण शनि (Shani) का प्रभाव एक बार फिर तेज हो गया है. ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार, जब शनि अस्त होते हैं, तो प्रभाव कम होता है, लेकिन जैसे ही वे ग्रह उदित हो जाते हैं, तो प्रभाव तेजी से बढ़ने लगता है. ऐसे में शनि देव के उदित होने से ढैय्या और साढ़ेसाती का प्रभाव भी बढ़ जाएगा. खासकर 5 राशि के जातकों पर शनि का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ने वाला है. वो राशियां कौन सी हैं और उन्हें किस तरह से बचाव करना चाहिए, जानें यहां.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि देव हर ढाई सालों में अपनी राशि बदलते हैं. जब शनि एक निश्चित अंश पर सूर्य के पास आते हैं तो वो अस्त हो जाते हैं, जिससे उनका प्रभाव कम होता है. लेकिन, जैसे ही शनि देव दोबारा उदित होते हैं तो उनके प्रभाव में बढ़ोतरी शुरु हो जाती है. फिलहाल शनि देव कुंभ राशि में उदित हैं जिसके कारण कर्क और वृश्चिक राशि पर ढैय्या और मकर, कुंभ और मीन राशि पर साढ़ेसाती (Sadhe Sati) का प्रभाव चल रहा है.
जब किसी जातक की राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव पड़ता है तो उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और किसी भी काम में सफलता आसानी से नहीं मिलती है. शनि की साढ़ेसाती के कारण मकर राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र में मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, कुंभ और मीन राशि के जातकों को धन संबंधी परेशानी और दुर्घटना का खतरा हो सकता है.
शनि के उदित होने से कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर ढैय्या का प्रभाव पहले के मुकाबले बढ़ने वाला है. इस राशि के जातकों को नौकरी या बिजनेस में तनाव का सामना करना पड़ सकता है, भागदौड़ ज्यादा रह सकती है और लड़ाई-झगड़ा बढ़ सकता है. ऐसे में इन राशि (Zodiac Signs) के जातकों को इन चीजों से बचकर रहना चाहिए.
अब बात आती है कि शनि देव के उदय होने से जो साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव बढ़ रहा है उसे कैसे कम किया जाए. इसके लिए काले तिल, तिल का तेल, काले कंबल, काली उड़द दाल, जूते चप्पल का दान करें. इसके अलावा मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में जाकर पूजा करें. शनि देव के पास सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं. ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव काफी हद तक कम होता है और बिगड़े काम भी बनने लगते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)