Sawan Pradosh Vrat: इस दिन है सावन का दूसरा प्रदोष व्रत, यहां जानिए पूजा का मुहूर्त और विधि

Sawan Pradosh Vrat: सावन माह में भगवान शिव की खास पूजा-अर्चना की जाती है. सावन के दौरान पड़ने वाले प्रदोष व्रत में महादेव की पूजा करना बेहद शुभ भी माना जाता है. 

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Pradosh Vrat: सावन माह में प्रदोष व्रत का अत्यधिक धार्मिक महत्व होता है. 

Pradosh Vrat 2023: सावन का महीना इस साल एक नहीं बल्कि 2 महीनों का होने वाला है. इस दौरान पूजा और व्रत भी खास महत्व रखते हैं. सावन में यूं तो सभी देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है लेकिन यह वह समय है जब महादेव (Lord Shiva) की पूजा-आराधना विशेषकर की जाती है. ऐसे में प्रदोष व्रत भी अत्यधिक शुभ माना जाता है. सावन का दूसरा प्रदोष व्रत अधिकमास के शुक्ल पक्ष का होगा. यह 30 जुलाई, रविवार के दिन पड़ रहा है जिस चलते इसे रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat) भी कहते हैं. जानिए इस प्रदोष व्रत में किस समय और किस तरह से पूजा की जा सकती है. 

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सावन का दूसरा प्रदोष व्रत | Sawan Ka Dusra Pradosh Vrat 

माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने पर भक्तों पर विशेष शिव कृपा पड़ती है. इस पूजा को करने पर भक्तों को लंबी आयु और रोगमुक्त होने का वरदान मिलता है. पंचांग के अनुसार, श्रावण के अधिकमास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाएगा. 30 जुलाई, रविवार की सुबह 10 बजकर 34 मिनट से त्रयोदशी तिथि शुरू हो रही है और इस तिथि की समाप्ति अगले दिन 31 जुलाई, सोमवार सुबह 7 बजकर 26 मिनट पर हो जाएगी. इस चलते सावन का दूसरा प्रदोष व्रत 30 जुलाई के दिन रखा जाएगा. 

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प्रदोष व्रत की पूजा रात के समय की जाती है. इस प्रदोष व्रत में पूजा (Pradosh Vrat Puja) का शुभ मुहूर्त 30 जुलाई शाम 7 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. इस समय पूजा करना बेहद शुभ और फलदायी साबित हो सकता है. इस बार प्रदोष व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में है. इसी योग में पूजा की जाएगी. इसके अतिरिक्त सुबह के समय इंद्र योग भी बन रहा है. 

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प्रदोष व्रत की पूजा विधि 

प्रदोष व्रत में सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और भगवान शिव का ध्यान करने हुए व्रत का प्रण लिया जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में रात के समय होती है. इस दिन भगवान गणेश और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. शिव पूजा में गुलाल, चंदन, धतूरा, फूल, अक्षत, जनेऊ, कलावा, अगरबत्ती, धूप और कपूर आदि शामिल किए जाते हैं. पूजा के दौरान भगवान शिव को भोग लगाया जाता है और शिव आरती की जाती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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