आज रखा जा रहा है सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

सावन माह के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. मंगला गौरी व्रत के दिन मां गौरी का पूजन किया जाता है. इस व्रत को विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं. 

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मंगला गौरी व्रत की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. 

Mangala Gauri Vrat 2024: सावन माह में हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. इस व्रत को वैवाहिक महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. सुहागिन महिलाएं इस व्रत को पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. माना जाता है कि मंगला गौरी व्रत के दिन पूरे मनोभाव से मां मंगला गौरी की पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन खुशहाल बनता है. पंचांग के अनुसार, सावन माह (Sawan) के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर चौथा मंगला गौरी व्रत आज 13 अगस्त, मंगलवार के दिन रखा जा रहा है. जानिए किस तरह आज मां मगला गौरी की पूजा-आराधना की जा सकती है.

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मां मगला गौरी की पूजा | Ma Mangala Gauri Puja 

सावन के चौथे मंगला गौरी व्रत के दिन पूजा के शुभ योग बन रहे हैं. आज सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर रवि योग शुरू होगा जो अगले दिन सुबह 5 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है. वहीं, 10 बजकर 44 मिनट तक विशाखा नक्षत्र है. ऐसे में पूरे दिन ही मां मंगला गौरी की पूजा की जा सकती है. 

इस व्रत को रखने वाली महिलाएं सुबह स्नान पश्चात मां मंगला गौरी का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेती हैं. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद पूजा की जाती है. इस दिन काले और नीले रंग के वस्त्र पहनने से खासा परहेज किया जाता है. 

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पूजा करने के लिए मां गौरी (Ma Gauri) और महादेव की प्रतिमा को चौकी पर सजाते हैं. इसके बाद मां गौरी के समक्ष जल, चंदन, फूल, धूप, दीप, अक्षत, लड्डू, फल, पान, सुपारी, इलायची, लौंग और सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है. सुहाग की सामग्री में लाल रंग का विशेष महत्व होता है और माता पर लाल चुनरी चढ़ाना शुभ माना जाता है. अब पूजा संपन्न करने के लिए मंगला गौरी व्रत की कथा पढ़ी जाती है, आरती गाई जाती है और भोग लगाया जाता है. दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने की कामना के साथ मंगला गौरी व्रत की पूजा का समापन होता है. 

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मां मगला गौरी की आरती 

जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता। जय मंगला गौरी...।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी...।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी...।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी...।

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी...।

सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी...।

देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी...।

मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।

जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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