Sawan ka aakhri pradosh kab hai: भगवान शिव की पूजा के लिए पूरा सावन का महीना पूजा, तप एवं मंत्र जाप आदि के लिए बेहद शुभ माना गया है लेकिन यदि आप इसमें पड़ने वाले सोमवार या फिर प्रदोष व्रत के दिन उनके लिए विशेष साधना या व्रत करते हैं तो आपको शीघ्र ही उनकी कृपा प्राप्त होती है. सनातन परंपरा में पवित्र सावन के प्रदोष व्रत को भगवान शिव की कृपा बरसाने वाला माना गया है. बुधवार के दिन पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत को करने पर क्या शुभ फल प्राप्त होते हैं क्या है इसको करने की सही विधि और धार्मिक महत्व, आइए इसे विस्तार जानते हैं.
प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शुक्लपक्षी की त्रयोदशी तिथि 06 अगस्त 2025, बुधवार के दिन दोपहर 02:08 बजे प्रारंभ होकर 07 अगस्त 2025, गुरुवार के दिन दोपहर 02:27 बजे तक रहेगी. ऐसे में सावन का आखिरी प्रदोष व्रत 06 अगस्त 2025 को रखा जाएगा और इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा. देश की राजधानी के समयानुसार बुध प्रदोष के दिन प्रदोष काल की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सायंकाल 07:08 से लेकर रात्रि 09:16 बजे तक रहेगा.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत वाले दिन भगवान शिव की प्रदोष काल में विशेष पूजा करना चाहिए. संध्या के समय पड़ने वाले इस शुभ मुहूर्त में दोबारा स्नान करने के बाद भगवान शिव संग माता पार्वती का विधि.विधान से पूजन करना चाहिए. प्रदोष व्रत की पूजा में भगवान शिव की प्रिय चीजें जैसे गाय का दूध, गंगाजल, रुद्राक्ष, भस्म, अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि अवश्य चढ़ाएं. प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान अधिक से अधिक शिव मंत्र का जाप करें तथा अंत में आरती के बाद पूजा में हुई भूल.चूक के लिए माफी मांगते हुए अपने कल्याण की कामना करें.
प्रदोष का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा बरसाने वाला है. जिस व्रत को करने पर चंद्र देवता का क्षय रोग दूर हो गया था, उसे करने पर साधक को सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर.परिवार और जीवन में सुख.शांति बनी रहती है और हर प्रकार से साधक का कल्याण होता है. चूंकि यह व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इस दिन यह बुध ग्रह से जुड़े शुभ फल भी प्रदान करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)