Sawan 2025 : शिवलिंग पर सबसे पहले क्या चढ़ाएं बेलपत्र या जल, जानिए ज्योतिषाचार्य से सही नियम

आपको बता दें कि जो भक्त जल की तरह शुद्ध और निर्मल होते हैं तथा सभी की भलाई के लिए कार्य करते है. उनमें कोई छल कपट नहीं है, जो सदाचारी हैं और अधर्म से दूर रहते हैं भगवान शिव, विष्णु जी, राम जी, श्री कृष्ण जी को भी पूर्ण भक्ति भाव से पूजते हैं, वे भक्त भगवान शिव जी को अतिशय प्रिय हैं.

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शिव पुराण में उल्लेख और रुद्र संहिता में स्पष्ट रूप से वर्णन है कि शिवलिंग का अभिषेक पहले गंगाजल या शुद्ध जल से करना चाहिए.

Lord Shiva puja Vidhi in sawan :  भगवान शिव को भक्त विभिन्न नाम से पुकारते हैं, जैसे भोलेनाथ, आशुतोष, गंगाधर, चंद्र मौली आदि. भोलेनाथ को देव, दानव, मानव सभी सामान भाव से पूजते हैं. वह सभी का कल्याण करते हैं. आपको बता दें कि 11 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने वाला है, ऐसे में शिव भक्त भगवान की विधिवत पूजा अर्चना और व्रत करेंगे. इस दौरान बेलपत्र, फूल और जलाभिषेक करके महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे. लेकिन कुछ लोगों के मन में यह सवाल होता है कि शिवलिंग पर पहले क्या अर्पित करना चाहिए बेलपत्र या जल? जिसके बारे में हमारी बातचीत हुई आगरा के ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से, जिन्होंने शिवलिंग पूजा के सही नियम के बारे में विस्तार से बताया है, तो आइए जानते हैं बिना देर किए...

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं पहले या जल?

  1. भगवान शिव की पूजा में जल और बेलपत्र दोनों का ही बहुत महत्व है.  सबसे पहले भगवान शिव के अभिषेक में जल या गंगा जल चढ़ाना चाहिए. उसके बाद दही, दूध, शहद शक्कर आदि चढ़ाएं. उसके पुनः शुद्ध जल चढ़ाएं या गंगा जल चढ़ाएं. उसके बाद बेलपत्र, पुष्प सफेद पुष्प, भाग धतूरा आदि अर्पित करिए. 
  2. शिव पुराण में उल्लेख और रुद्र संहिता में स्पष्ट रूप से वर्णन है कि शिवलिंग का अभिषेक पहले गंगाजल या शुद्ध जल से करना चाहिए. इसके बाद बेलपत्र ,धतूरा भांग, सफेद पुष्प या अन्य पूजन सामग्री अर्पित करनी चाहिए. इससे यह स्पष्ट होता है की पूजन की शुरुआत जल अर्पण से होती है. स्कंद पुराण में भगवान शिव की पूजा के बारे में उल्लेख है. स्कंद पुराण के "केदार खंड" में वर्णन मिलता है कि शिव पूजन में सर्वप्रथम शुद्ध जल से जल अभिषेक करना चाहिए.
  3. इससे भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं, फिर उसके बाद बेलपत्र, फूल या अन्य द्रव्य चढ़ाए जाते हैं. पद्म पुराण में भी भगवान शिव की पूजा अर्चना के बारे में विस्तार से बताया गया है. पद्म पुराण में भगवान शिव की पूजा में सबसे पहले जल और बिल्व पत्र दोनों की महिमा बताई गई है, पर जल को पहले स्थान पर रखा गया है. 
  4. जल को पहले हम क्यों चढ़ाते हैं, इसके पीछे भी एक महत्वपूर्ण कारण है. इसे आवाहन का एक भाग माना जाता है. भगवान शिव को जल शीतलता प्रदान करता है. जो कि उनको प्रिय है. भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल (महान विष को) संसार की रक्षा एवं सृष्टि के कल्याण लिए पी लिया था और उसे अपने कंठ में धारण कर लिया था. इसलिए उनका एक नाम नीलकंठ पड़ा है.
  5. इस विष के ताप को कम करने के लिए भी उनके सिर पर जल की धारा छोड़नी चाहिए. जल से शिवलिंग की ऊर्जा सक्रिय होती है.फिर बेलपत्र से वह स्थिर होती है. बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है लेकिन इसका चढ़ाना जल के बाद होता है.
  6.  मान्यता है कि बेल पत्र चढ़ाने से तीनों का पुण्य प्राप्त होता है. सबसे पहले शुद्ध जल या गंगाजल से अभिषेक करें. उसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग, भस्म चंदन ,फल आदि अर्पित करें, और ॐ नमः शिवाय का मन ही मन जाप करते रहें.

आपको बता दें कि जो भक्त जल की तरह शुद्ध और निर्मल होते हैं तथा सभी की भलाई के लिए कार्य करते है. उनमें कोई छल कपट नहीं है, जो सदाचारी हैं और अधर्म से दूर रहते हैं भगवान शिव, विष्णु जी, राम जी, श्री कृष्ण जी को भी पूर्ण भक्ति भाव से पूजते हैं, वे भक्त भगवान शिव जी को अतिशय प्रिय हैं.

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