Sawan Shravani Mela 2022: सावन की शुरुआत 14 जुलाई से हो चुकी है. यह आगामी 12 अगस्त तक चलेगा. बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर में श्रावणी मेला (Shravani Mela 2022) की शुरुआत हो हो गई है. बोलबम के जयकारे के साथ पूरी बाबा नगरी गुंजायमान हो रहा है. बाबा बैद्यनाथ की नगरी में कांवड़ (Kanwad Yatra 2022) लेकर न सिर्फ देश भर से बल्कि पड़ोसी देश नेपाल सहित अन्य देशों से भी भक्त शिवजी के जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं. 14 जुलाई, गुरुवार से बाबा बैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Mandir) में पूरे सावन भर स्पर्श पूजा बंद रहेगी. ऐसे में जानते हैं बाबा के भक्त किस प्रकार बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक कर करेंगे.
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए रहेगी 3 तरह की व्यवस्था
श्रावणी मेले (Shravani Mela 2022) में बाबा बैद्यनाथ धाम (Baidyanath Dham) आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जलाभिषेक के लिए तीन प्रकार की व्यवस्था की गई है. पहली व्यवस्था में जल अर्पण करने वाले भक्तों की सामान्य कतार लगेगी. जलाभिषेक के लिए दूसरी व्यवस्था का नाम शीघ्रदर्शनम् है. इस व्यवस्था के तहत भक्तों को 500 रुपए देना होगा. इसमें जलार्पण के लिए 20 मिनट से लेकर 30 तक का समय लगेगा. इसके अलावा तीसरी व्यवस्था के तहत कांवड़िया भक्त बाह्य अरघा (Argha) के माध्यम के बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करेंगे. इस व्यवस्था के तहत पाइपलाईन को शिवलिंग (Shivling)तक जोड़ा गया है. अरघा जल अर्पण व्यवस्था के माध्यम से भक्तों का जल सीधे शिवलिंग पर अर्पित होगा. जिसे मंदिर के बाहर लगे स्क्रीन पर देखा जा सकता है.
इस दिन आधे घंटे के लिए खुलेगा अरघा
सावन (Sawan 2022) के पहले और अंतिम संक्रांति (Sankranti) से साथ-साथ प्रत्येक सोमवारी को शाम 7 बजे से लेकर 7.30 तक आधे घंटे के लिए अरघा हटाया जाएगा. इस दौराम बाबा बैद्यनाथ का बेलपत्र पूजन (Belpatra Pujan) होगा. बता दें कि इसी आधे घंटे की अवधि में पुरोहित समाज के लोग बाबा को बेलपत्र अर्पित कर स्पर्श पूजन करेंगे.
रविवार और सोमवार को शीघ्रदर्शनम् का कूपन नहीं होगा जारी
सावन (Sawan 2022) में रविवार और सोमवार को बाबा बैद्यनाथ मंदिर में कांवड़िया भक्तों को भीड़ उमड़ती है. जिस कारण इन दोनों दिनों के लिए शीघ्रदर्शनम का कूपन जारी नहीं होगा. ऐसे में भक्त रविवार और सोमवार को सामान्य कतार या बाह्य अरघा पात्र के माध्यम से ही जलार्पण कर सकेंगे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)