भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कहानी के बारे में क्या आपको पता है, यहां पढ़िए भीम और भगवान शिव के बीच क्या है संबंध

Bheema jyotirling katha : हिन्दु धर्म शास्त्रों में शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन किया गया है. सावन के महीने में लोग उन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए भी निकलते हैं. उनमें से एक है भीमा ज्योतिर्लिंग. जो पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर शिराधन गांव में स्थित है.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
Shiv Jyotirling : धर्म शास्त्रों के अनुसार कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं.

About Bheema jyotirling : सावन का पवित्र महीना 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. इस महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भोलेनाथ की कृपा सदैव बनी रहती है. इस पवित्र माह में देश के सभी प्रमुख शिव मंदिरों में सुबह से ही तांता लग जाता है श्रद्धालुओं का दर्शन करने के लिए. आपको बता दें हिन्दू धर्म शास्त्रों में शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन किया गया है. सावन के महीने में लोग उन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए भी निकलते हैं. उनमें से एक है भीमा ज्योतिर्लिंग (Bheema jyotirling ). यह ज्योतिर्लिंग पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर शिराधन गांव में स्थित है. तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ प्रसिद्ध कहानी और कथा.

भीमा ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा | Katha related to Bheema jyotirling

मान्यता के अनुसार कुंभकरण को सह्याद्रि पर्वत पर कर्कटी नाम की एक राक्षसी मिली थी. दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया जिसके बाद इन्होंने शादी कर ली. विवाह के पश्चात रावण का भाई कुंभकरण लंका वापस आ गया लेकिन, कर्कटी ने पर्वत पर ही रहने का फैसला लिया. इन दोनों का एक पुत्र हुआ जिसका नाम भीम हुआ. आपको बता दें कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने कुंभकरण का वध किया तो भीम ने श्री राम से इसका बदला लेने की ठान ली. 

भीम ने उसके बाद से ब्रह्मा की तपस्या करनी शुरू कर दी. जिससे खुश होकर सृष्टि के निर्माता ने उसे सबसे ताकतवर होने का वरदान दे दिया. एक दिन कामरुपेश्वर नाम के एक राजा को भीम ने भोलेनाथ की उपासना करते हुए देख लिया जिसके बाद उसने राजा को बंदी बना लिया, लेकिन कामरुपेश्वर की भगवान शिव के प्रति श्रद्धा कम नहीं हुई, वह कारागार में भी शिवलिंग की पूजा अर्चना करने लगे.

Advertisement

जब इसकी जानकारी भीम को लगी तो उसने अपनी तलवार से शिवलिंग को तोड़ने लगा. जिसके बाग भोलेनाथ स्वयं प्रकट हो गए. फिर दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसके परिणाम स्वरूप भीम का वध कर दिया भगवान शिव ने. इसके बाद से भोले शंकर देवताओं के आग्रह पर वहां पर विराजमान हो गए. इसलिए इस लिंग को भीमा ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा.

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

सन टैनिंग को इन घरेलू नुस्खों से भगाएं दूर​

Featured Video Of The Day
Champions Trophy 2025 | Hybrid Model: India Vs Pakistan, ना तेरे घर में, ना मेरे घर में | Cricket
Topics mentioned in this article