Saphala Ekadashi 2025: दिसंबर में दूसरी एकादशी कब है? जानें सफला एकादशी व्रत की पूजा विधि एवं मुहूर्त

Saphala Ekadashi 2025 Kab Hai: सनातन परंपरा में जिस तरह सभी प्रकार के पक्षियों गरूण देवता, सर्पों में शेषनाग और देवताओं में जगत के पालनहार माने जाने वाले भगवान विष्णु श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सभी प्रकार के रखे जाने वाले व्रतों में एकादशी का व्रत श्रेष्ठ माना गया है. दिसंबर महीने में कब पड़ेगा दूसरा एकादशी व्रत? सफला एकादशी व्रत और पूजा का क्या है महत्व, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Saphala Ekadashi Vrat 2025: सफला एकादशी व्रत की पूजा विधि एवं मुहूर्त
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Saphala Ekadashi Vrat Puja And Paran Time: हिंदू धर्म में पौष मास के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को सफला एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है या फिर श्री हरि के भक्तों पर संकट आता है, वे उनकी मदद के लिए दौड़े चले आते हैं. यदि बात करें सफला एकादशी के पावन व्रत की तो इसे विधि-विधान से करने पर भगवान विष्णु शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और अपने साधक पर कृपा बरसाते हुए उसके सोचे हुए सभी काम को सफल होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. आइए सफला एकादशी व्रत की पूजा एवं पारण का समय, विधि और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

सफला एकादशी व्रत की पूजा एवं पारण का शुभ मुहूर्त 

पंचाग के अनुसार दिसंबर महीने की दूसरी एकादशी 15 दिसंबर 2025 को पड़ेगी. पौष के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली इस एकादशी व्रत को सफला एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार यह पावन तिथि इस साल 14 दिसंबर 2025 को सायंकाल 06:49 बजे से शुरू होकर 15 दिसंबर 2025 को सायंकाल 09:19 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सफला एकादशी का व्रत 15 दिसंबर 2025 को ही रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार सफला एकादशी व्रत का पारण इसके अगले दिन यानि 16 दिसंबर 2025 को प्रात:काल 07:07 से लेकर 09:11 बजे के बीच होगा. 

सफला एकादशी व्रत की पूजा विधि

भगवान विष्णु की कृपा बरसाने वाली सफला एकादशी व्रत को करने के लिए साधक को इस दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर तन और मन से पवित्र हो जाएं फिर इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प करना चाहिए. साथ ही व्यक्ति को इस बात का भी संकल्प करना चाहिए कि पूरे ​दिन व्रत के सभी नियमों का पालन करते हुए क्रोध,ईर्ष्या और आलोचना आदि से दूर रहेगा. इसके बाद शुभ समय में शुभ दिशा यानि ईशान कोण में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र रखें. इसके बाद उस पर गंगाजल छिड़कें और चंदन का तिलक अर्पित करें. इसके बाद श्री हरि को पीले रंग के पुष्प, पीले फल, पीले रंग की मिठाई, तुलसी दल और धूप-दीप अर्पित करना चाहिए. इसके बाद एकादशी व्रत की कथा को कहें या फिर सुनें. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करना न भूलें.

सफला एकादशी व्रत के नियम 

  • हिंदू मान्यता के अनुसार सफला एकादशी व्रत वाले दिन व्यक्ति को किसी दूसरे के घर में अन्न नहीं खाना चाहिए. 
  • सफला एकादशी व्रत वाले दिन व्यक्ति को बाल-नाखून आदि नहीं काटना चाहिए और तामसिक चीजों से दूरी बनाए रखना चाहिए. 
  • सफला एकादशी व्रत वाले दिन चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. 

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  • सफला एकादशी दिन यदि कोई नियम टूट जाए तो भगवान सूर्य नारायण का दर्शन करके अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांग लेना चाहिए और पूरे दिन व्रत के नियम को दोबारा नहीं तोड़ना चाहिए. 
  • सफला एकादशी व्रत वाले दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरमंद व्यक्ति को दान करना चाहिए.
  • एकादशी व्रत के दूसरे दिन शुभ मुहूर्त में पारण अवश्य करना चाहिए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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