Saphala Ekadashi 2025 Parana date and time: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. भगवान विष्णु का यह व्रत प्रत्येक महीने के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष की ग्यारहवीं तिथि को रखा जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस व्रत का महत्व तब और भी अधिक बढ़ जाता है जब यह पौष मास के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि पर पड़ता है और सफला एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है. आज इस व्रत को श्री हरि के भक्त पूरे विधि-विधान से रख रहे हैं लेकिन जिस पारण के बगैर यह व्रत अधूरा माना जाता है, वह कब और किस समय किया जाएगा? एकादशी व्रत और इसके पारण का क्या महत्व है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
एकादशी व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं. एकादशी व्रत का पारण व्रत के दूसरे दिन सूर्योदय के बाद द्वादशी तिथि समाप्त होने के पहले किया जाता है. एकादशी व्रत का पारण एकादशी तिथि पर नहीं किया जाता है. जिस पारण के बगैर सफला एकादशी व्रत को अधूरा माना जाता है, वह कल दिनांक 16 दिसंबर 2025, मंगलवार को प्रात:काल 07:07 बजे से लेकर 09:11 बजे तक किया जा सकेगा. पंचांग के अनुसार इस दिन द्वादशी तिथि रात्रि के 11:57 बजे समाप्त होगी.
कैसे करें सफला एकादशी व्रत का पारण?
सफला एकादशी व्रत का पारण करने के लिए 16 दिसंबर 2026, मंगलवार के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करें. तन और मन से पवित्र होने के बाद सबसे पहले श्री हरि की पूजा करें और पंचामृत के साथ तुलसी दल चढ़ाएं. भगवान विष्णु को अर्पित की गई तुलसी पत्र को प्रसाद स्वरूप बगैर चबाए ग्रहण करना चाहिए. इसके बाद सात्विक भोजन जिसमें चावल शामिल हो ग्रहण करना चाहिए. पारण वाले दिन यथासंभव मंदिर के पुजारी को दान देना चाहिए.
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एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार एकादशी व्रत को करने से व्यक्ति सभी दोष और दुख दूर हो जाते हैं और उसे तन और मन दोनों का सुख प्राप्त होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार एकादशी व्रत को विधि-विधान से करने वाले साधक पर भगवान विष्णु की पूरी कृपा बरसती है और उसके सारे काम सफल होते हैं. यह व्रत व्यक्ति को सभी सुख प्रदान करते हुए अंत में मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)














