दिसंबर की इस तारीख को रखा जाएगा सफला एकादशी का व्रत, यहां जानिए पूजा मुहूर्त, महत्व, विधि और मंत्र

Safla ekadashi significance : मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु का साधक पर हमेशा आशीर्वाद बना रहता है. साथ ही पाप कर्मों का भी नाश होता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल एकादशी की तिथि, मुहूर्त और पारण का समय.

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सफला एकादशी का पारण समय सुबह 07:17 मिनट से सुबह 09:16 मिनट पर किया जाएगा. 

Safla ekadashi vrat kab hai 2024 :  सफला एकादशी पौष माह के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि के दिन मनाई जाती है. इस दिन साधक भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा अर्चना और व्रत करते हैं. मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु का साधक पर हमेशा आशीर्वाद बना रहता है. साथ ही पाप कर्मों का भी नाश होता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल एकादशी की तिथि, मुहूर्त, विधि और पारण का समय.

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सफला एकादशी 2024 में कब है

साल 2024 की आखिरी एकादशी सफला एकादशी है.यह व्रत 26 दिसंबर 2024 दिन गुरुवार को रखा जाएगा.  इस दिन लक्ष्मी-नारायण की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. 

सफला एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 दिसंबर 2024 को रात 10:29 मिनट से शुरू होगी जो 27 दिसंबर 2024 को प्रात: 12:43 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि पड़ने के काऱण उपवास 26 दिसंबर को रखा जाएगा.

सफला एकादशी के दिन विष्णु पूजा का मुहूर्त सुबह 7 बजकर 12 मिनट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक है.

सफला एकादशी पारण का समय 2024

सफला एकादशी का पारण 27 तारीख को सुबह 07:17 मिनट से सुबह 09:16 मिनट पर किया जाएगा. 

सफला एकादशी पूजा विधि 2024

पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ हो जाए.
इसके बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें- "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय".
इसके बाद सफला एकादशी व्रत की कथा सुनें या पढें.
फिर आप भगवान विष्णु को नैवेद्य अर्पित करें.
पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन और दान देने का विशेष महत्व है.
एकादशी के दिन रात्रि को जागरण करके भगवान विष्णु के भजन, कीर्तन और पूजा करें. इससे घर की ऊर्जा सकारात्मक होती है. 

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सफला एकादशी पूजा मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः

ॐ नमो नारायणाय

दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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