Santoshi Mata Vrat: मान्यता है कि संतोषी माता का व्रत रखते हुए इन बातों का करेंगे पालन, तो मां की कृपा सदा रहेगी आप पर

Santoshi Mata Vrat: शुक्रवार के दिन संतोषी माता (Santoshi Mata) की उपासना की जाती है. संतोषी माता व्रत (Santoshi Mata Vrat) को 16 शुक्रवार (Friday) का व्रत भी कहा जाता है. संतोषी माता (Santoshi Mata Vrat) के व्रत में लगातार 16 शुक्रवार का व्रत (16 Shukrawar Ka Vrat) किया जाता है और उसके बाद उद्यापन किया जाता है.

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Santoshi Mata Vrat: संतोषी माता व्रत के खास नियम हैं.
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  • शुक्रवार से शुरू किया जाता है संतोषी माता का व्रत
  • लगातार 16 शुक्रवार तक किया जाता है संतोषी माता व्रत
  • मान्यता है संतोषी माता व्रत से मनोकामना होती है पूरी
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Santoshi Mata Vrat: हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक शुक्रवार के दिन संतोषी माता (Santoshi Mata) की उपासना की जाती है. संतोषी माता व्रत (Santoshi Mata Vrat) को 16 शुक्रवार (Friday) का व्रत भी कहा जाता है. संतोषी माता (Santoshi Mata Vrat) के व्रत में लगातार 16 शुक्रवार का व्रत (16 Shukrawar Ka Vrat) किया जाता है और उसके बाद उद्यापन किया जाता है. कहा जाता है कि नियम पूर्वक संतोषी माता (Santoshi Mata) का व्रत रखना अत्यंत फलदायी होती है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है. आइए मान्यतानुसार जानते हैं कि संतोषी माता के व्रत में किन बातों का पालन किया जाता है. 

कब शुरू करें संतोषी माता का व्रत (When to start Santoshi Mata Vrat) 

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक संतोषी माता का व्रत किसी माह के शुक्लपक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू किया जा सकता है. संतोषी माता व्रत शुरू करने के बाद लगातार 16 शुक्रवार तक व्रत किया जाता है. साथ ही उसके बाद व्रत का उद्यापन किया जाता है. कहा जाता है को जो कोई पूरे विधि-विधान से संतोषी माता का व्रत रखता है उसकी हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 


 

संतोषी माता व्रत का पूजन कैसे करें (How to Worship Santoshi Mata Vrat)

मान्यतानुसार संतोषी माता व्रत की पूजा के लिए सबसे पहले किसी पात्र में जल भर कर उसके ऊपर एक कठोरी रखकर उसमें गुड़ और भुने हुए चने रखे जाते हैं. उसके बाद व्रत कथा शुरू की जाती है. दीपक जलाया जाता है. व्रत कथा के दौरान हाथों में गुड़ और भुने हुए चने रखे जाते हैं. संतोषी माता के समाने घी का दीपक जलाया जाता है. माता को अक्षत, फ़ूल, नारियल, लाल वस्त्र या चुनरी इत्यादि अर्पित किया जाता है. फिर संतोषी माता को गुड़ और चने का भोग लगाया जाता है. संतोषी माता व्रत कथा के बाद आरती की जाती है. कहा जाता है कि संतोषी माता व्रत के दौरान खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)  

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