Kawad yatra rules 2025 : आज से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है. ऐसे में भोलेनाथ के भक्त कांवड़ लेकर नंगे पांव बम भोले के नारे लगाते हुए निकलनी की तैयारी कर चुके हैं. इस यात्रा में श्रद्धालु लंबी यात्रा तय करके पवित्र नदियों का जल एकत्रित करते हैं और मासिक शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर उस जल को चढ़ाते हैं. मान्यता है इससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. अगर आप भी इस साल कांवड़ यात्रा पर निकलने की सोच रहे हैं, तो फिर आपको इससे जुड़े जरूरी नियम जान लेने चाहिए, ताकि आपकी यात्रा बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न हो सके. तो आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा से जुड़े जरूरी नियम..
कांवड़ यात्रा के नियम - Rules of Kanwar Yatra
कांवड़ यात्रा के लिए जरूरी सामग्री - कांवड़, गंगा जल भरने के लिए पात्र, सजावट के लिए लाल-पीले वस्त्र और फूल, भगवान शिव की मूर्ति या फोटो, त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष आदि चीजें अपने साथ जरूर रखें. इसके अलावा अपने साथ लाल-पीले वस्त्र, गमछा, नी कैप, दातुन भी रखें.
जमीन पर सोना और ब्रह्मचर्य का पालन- कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को जमीन पर सोना और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. साथ ही इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को स्वच्छता और पवित्रता का खास ध्यान रखना होता है, नहीं तो आपकी यात्रा फलित नहीं होती है. मान्यता इससे शिव जी रूष्ट होते हैं.
इन बातों का रखें खास ख्याल
कांवड़िए यात्रा के दौरान अपने बाल न कटाएं और न ही शेव करानी चाहिए. इस पवित्र यात्रा पर जाने से पहले श्रद्धालुओं को अपने फुल बॉडी हेल्थ चेकअप एकबार जरूर करानी चाहिए. क्योंकि यह पद यात्रा होती है, जिसमें आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना जरूरी है.
कांवड़ियों को अपने साथ एक पहचान पत्र और इमरजेंसी कॉन्टेक्ट नंबर रखना चाहिए. श्रद्धालुओं को कांवड़ यात्रा के दौरान ट्रैफिक रूल्स का भी पालन करना चाहिए.
कांवड़ यात्रा का महत्व - Significance of Kanwar Yatra
आपको बता दें कि कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है. यह यात्रा श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून प्रदान करती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)